Sirpur: छत्तीसगढ़ का पुरातात्विक स्थल सिरपुर, विश्व धरोहर में शामिल करने यूनेस्को को भेजा जाएगा प्रस्ताव
Sirpur: सिरपुर छत्तीसगढ़ में महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इस स्थान का प्राचीन नाम श्रीपुर है। बता दें कि सिरपुर ऐसा नगर था जिसे वास्तु के हिसाब से बसाया गया।
Sirpur: जितेन्द्र सतपथी/भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के सर्वे में सिरपुर के वैभवशाली इतिहास को लेकर एक दिलचस्प जानकारी हासिल हुई है। वो ये है कि सिरपुर ऐसा शहर था, जिसे पांचवीं से आठवीं शताब्दी के बीच वास्तुकला के आधार पर बसाया गया था। इसकी पुष्टि आरडीए के सीईओ राजेंद्र राव भी करते हैं।
सर्वे में प्रमाण के तौर पर किले की दीवार, ईंटें, तालाब व बसाहट के अंश मिले हैं। एएसआई की टीम ने इसी साल जनवरी से लेकर जून तक सिरपुर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में आने वाले 34 गांवों का सर्वे किया।
13 गांवों में 38 जगहों का पुरासंपदा मिलने की संभावना पर चिह्नांकन किया गया। 13 गांवों के सर्वे में एएसआई की टीम को ऐसी जानकारी हाथ लगी, जिससे साफ पता चलता है कि प्राचीन काल में सिरपुर की बसाहट दुनिया से काफी जुदा थी।
वास्तु के शानदार सबूत मिले
यह नगर वास्तुकला को अपने आप में समेटे हुए था। सिरपुर में वर्तमान में ईशान कोण पर गंधेश्वर महादेव का मंदिर है। उत्तर दिशा में महानदी है। वहीं आग्नेय कोण में धातु (सोना-कांसा) गलाने की भट्ठी, दक्षिण में श्मशान घाट और पूर्व में वन होने के सबूत मिले हैं।
इसके अलावा किले की दीवारें, बस्ती की बसाहट, अंडर ग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम, पुजारी का निवास, राजमहल, विहार और उसके बगल में तालाब, बाजार होने के भी सबूत मिले हैं। सिरपुर के एक गांव में राजमहल की दीवार दिख रही है।
100 लोगों की टीमों ने किया अवलोकन
एएसआई की टीम में जबलपुर व दिल्ली के पुरातत्व विशेषज्ञ, 42 विद्यार्थियों समेत 100 सदस्यों की टीम ने 34 गांवों का बारीकी से अध्ययन किया। सर्वे में महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई गई। एएसआई के महानिदेशक भी सिरपुर का अवलोकन करने आए थे।
उन्होंने सिरपुर में विशिष्ट स्थलों का दस्तावेजीकरण करने और उनका पता लगाने के लिए ड्रोन, फोटोमेट्रिक व उन्नत सर्वेक्षण तकनीक की आवश्यकता पर जोर दिया था। जून तक हुए सर्वे के बाद इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भेज दी गई है।
सिरपुर क्षेत्र में अब तक 45 जगहों का उत्खनन हो चुका है। इसमें से कई दर्शनीय स्थल मिले हैं। लक्ष्मण मंदिर, शिव मंदिर, तीवरदेव विहार, ससाई विहार, सुरंग टीला, उत्खनित पुरास्थल, राम मंदिर, हर्ष गुप्त विहार आदि दर्शनीय है।
10 वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र में पुरावशेष बिखरे हुए हैं। अब तक 38 जगहों का चिह्नांकन हुआ है। भारतीय पुरातत्व विभाग की अनुमति के बाद ही इन जगहों पर उत्खनन की अनुमति मिल सकती है।
यूनेस्को की सूची में प्रदेश की कोई धरोहर नहीं
Sirpur: सिरपुर को पुरा अवशेष के आधार पर यूनेस्को की सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए छत्तीसगढ़ से पहली बार प्रस्ताव भेजा जाएगा। हर साल 20 नवंबर तक प्रस्ताव भेजा जाता है। अभी तक यूनेस्को की सूची में छत्तीसगढ़ की कोई धरोहर शामिल नहीं हैं।
सिरपुर विकास प्राधिकरण के सीइओ राजेन्द्र राव ने बताया कि 38 जगहों के सर्वे में कई पुरातात्विक अवशेष के प्रमाण मिले हैं। सिरपुर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने के लिए अगले महीने प्रस्ताव भेजा जाएगा।
तीन चरणों में हुआ उत्खनन
1873 जेडी बेगलर ने अवलोकन किया। इसके बाद 1881-82 में अलेकजेंडर कनिंगघम आए। पहले चरण में 1953 से 1956 तक सागर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. एमजी दीक्षित के नेतृत्व में उत्खनन हुआ।
दूसरे चरण 1999 से 2003 तक जगपति जोशी और डॉ. एके शर्मा के संयुक्त नेतृत्व में खुदाई हुई। तीसरे चरण में 2004 से 2011 तक डॉ. एके शर्मा के नेतृत्व में उत्खनन हुआ।
Sirpur: रायपुर विकास प्राधिकरण, सीइओ, राजेन्द्र राव का कहना है कि सिरपुर क्षेत्र के १३ गांवों में ३८ जगहों का चिन्हांकन किया गया है। एएसआई के सर्वे में पता चला कि सिरपुर को वास्तुकला के अनुसार बनाया गया था। उत्खनन में और पुरातात्विक चीजें मिलेंगी।
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