जिओ – केमिकल अध्ययनों से पता चला है कि बसना कस्बे, चंद्रखुरी, बड़ाडोंगरी और जमनीडीह, शिशुपाल पहाड़ी क्षेत्र के लिमऊगुड़ा, जम्हारी, मल्दामाल, साजापाली और बसना क्षेत्र के चंदखुरी, कांदाडोंगरी, रूपापाली, धामन घुटकुरी, चपिया गांवों के नीचे किम्बरलाइट की चट्टानें मौजूद हैं, इसी के आधार पर एजेंसियों को इस क्षेत्र में हीरे और सोने की खान मिलने का अनुमान है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एनएमडीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एन. बैजेन्द्र कुमार से मुलाकात के बाद एनएमडीसी को दी गई खनन लीज की अवधि बढ़ाने का भरोसा दिया है। दरअसल, एनएमडीसी की माईनिंग लीज 30 मार्च 2020 को समाप्त हो रही है। वहीं एनएमडीसी द्वारा खनन से संबंधित 600 करोड़ रूपए की बकाया राशि का भुगतान जल्द ही राज्य सरकार को किया जाएगा। चर्चा के दौरान यह भी तय हुआ की छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल द्वारा नगरनार इस्पात संयंत्र परियोजना में लगभग 1200 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाली हाऊसिंग परियोजना का निर्माण किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के चार स्थानों पर हीरे की चट्टानों की मौजूदगी प्रमाणित हुई है। ये स्थान गरियाबंद, महासमुंद व रायगढ़ जिले में हैं। बस्तर में भी हीरे की खोज जारी है। छत्तीसगढ़ खनिज विभाग के प्रशासकीय प्रतिवेदन (2014-15) के अनुसार, बहुमूल्य हीरा भी यहां के भूगर्भ में छिपा है। गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र में हीरा खनिज की किंबर लाइट पाइप है। बेहराडीह, पायलीखंड, जांगड़ा, कोदोमाली, कोसमबुड़ा एवं बेहराडीह टेम्पल क्षेत्र में हीरा होने की संभावना जताई गई है। बेहराडीह तथा पालयीखंड क्षेत्र में हीरे की मौजूदगी प्रमाणिक भी हो चुकी है।
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