विकास दूर..
रायपुर से नजदीक होने के बाद भी महासमुंद शहर विकास के पथ पर पिछड़ रहा है। व्यापार नहीं बढ़ रहा है। बेरोजगारों को रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है। पंजीकृत बेरोजगारों की संया 62 हजार तक पहुंच गई है। कृषि उपभोक्ता बाजार की सौगात दो साल बाद भी नहीं मिल पाई है। पांच साल बाद भी इंडोर
स्टेडियम में खिलाड़ी कदम नहीं रख पाए हैं। चौपाटी की दुकानों की नीलामी पांच साल बाद भी नहीं हो पाई है। उद्यान उजड़े हुए हैं। उसकी दशा सुधारने के लिए कोई पहल नहीं हो रही है। मल्टी एक्टिविटी सेंटर भी एक साल से बंद पड़े हुए हैं। समूह के कार्यकर्ता बेरोजगार बैठे हैं। कॉलेजों में छात्रों के पास बैठने के लिए फर्नीचर नहीं है।
महासमुंद की जनता को लंबे समय केवल झुनझुना ही पकड़ाया जा रहा है। 2018 में जब पूर्व मुयमंत्री रमन सिंह आए थे, उन्होंने नहर लिंकिंग रोड बनाने की बात कही थी। 2023 में जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आए थे, तो नगर पालिका को नगर निगम बनाने की बात कही गई। दोनाें बार सत्ता बदलने के बाद नहर लिकिंग रोड व नगर निगम बनाने का सपना भी सपना ही रह गया। घोषणाओं पर अमल नहीं हो पाया। एक बार फिर से शहर में सीएम साहब आ रहे हैं। महासमुंद की जनता को उनसे उमीद है। अटके कार्य पूरे होंगे और फंड की समस्या दूर होगी।
कागजों पर ही प्लानिंग
शहर में बनाई गई कई योजनाएं नगर पालिका के बजट पुस्तिका तक ही सीमित रह गई हैं। बजट में प्रावधान तो बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन इसका अमल नहीं हो पा रहा है। नगर पालिका भवन, गोकुल नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, मल्टीलेवल पार्किंग जैसी योजनाएं कागजों में ही सिमटकर रह गईं हैं। शासन को प्रस्ताव भेजा जाता है, पर स्वीकृति नहीं मिल रही है। इसके अलावा शहर में कई प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। भूमिपूजन के बाद कोई काम नहीं हुआ है। तुमगांव रोड चौड़ीकरण की प्लानिंग दो-तीन साल पहले की गई थी। इस सड़क के लिए राशि भी की स्वीकृति हो गई है। टेंडर प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं होने से इस मार्ग की दशा नहीं सुधर पाई है। बीच में पेंचवर्क का काम किया गया था। कॉलेज के छात्र लंबे समय से शहर में सिटी बस चलाने की मांग कर रहे हैं। जिससे वे कॉलेज आना-जाना कर सकें। कॉलेज शहर से दूर होने से प्रतिदिन छात्रों को 50 से 100 रुपए खर्च करना पड़ रहा है। जिससे छात्रों को भी परेशानी होती है। पिछले सरकार द्वारा पहल की गई थी, लेकिन सत्ता बदलने के बाद से छात्रों को मायूसी ही हाथ लगी है।
ये कार्य हैं अटके
बहनी-चिंगरौद मार्ग बदहाल कार्य लागत आत्मानंद कॉलेज भवन 12 करोड़ अंतरराज्यीय बस टर्मिनल 6 करोड़ बीटीआई रोड गौरवपथ 18 करोड़ नहर लिंकिंग रोड 11 करोड़ आत्मानंद स्कूल मार्ग 1.36 करोड़ तुमगांव रोड चौड़ीकरण 26 करोड़ चिंगरौद से नदी पुल मार्ग 248 लाख बहनी से बेलसोंडा मार्ग 210 लाख सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 1.50 करोड़ फुटबॉल मैदान वन विभाग 3 करोड़
नगर पालिका नया भवन 2 करोड़ बहनी से लेकर सुखा नदी तक मार्ग जर्जर हो गया है। इस मार्ग में सैकड़ों बड़े गड्ढे हैं। ग्रामीण लंबे समय से सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस मार्ग के लिए सरकार द्वारा कोई पहल नहीं की गई है। इस मार्ग से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी तरह बहनी बेलसोंडा, बरोंडाबाजार-साराडीह, महासमुंद से तुमगांव मार्ग भी जर्जर हो गया है। सड़कों की दशा कब सुधरेगी, किसी को पता नहीं।
दो वर्ष से जमीन की तलाश पूरी नहीं हुई
आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम कॉलेज भवन के लिए 12 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। मचेवा में भवन बनना प्रस्तावित था। अब बताया जा रहा है कि भूमि की तलाश की जा रही है। दो साल से मिनी स्टेडियम स्थित भवन में अंग्रेजी माध्यम कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। कृषि कॉलेज के छात्रों को भी भवन बनने का इंतजार है। लंबे समय से छात्र कांपा के मोटल में पढ़ रहे हैं।