विधानसभा चुनाव के दौरान पेंशन का मुद्दा बहुत उठा था। एनपीएस की विसंगतियां इस कदर एक बड़ा मुद्दा बन गई थी कि कर्मचारियों ने इसे खत्म कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की थी। समाजवादी पार्टी ने सरकार बनने पर पुरानी पेंशन बहाल करने की बात तक कह दी थी। इसका बड़ा असर यह हुआ कि कर्मचारियों के बड़े तबके ने अपनी मांग के समर्थन में सत्ताधारी दल के खिलाफ चुनाव में मतदान किया था। इसकी बानगी पोस्टल बैलट से हुए इलेक्शन में देखने को मिली थी।
आसान शब्दों में समझें कर्मचारी अंशदान को – एनपीएस के अंतर्गत कर्मचारी का एक प्रान खाता खोला जाता है। इसमें कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत व सरकार 14 प्रतिशत का अंशदान करती है। इस 24 प्रतिशत अंशदान से कार्मिक का पेंशन फंड बनता है।
– सरकार ने तय तय किया है कि कार्मिक के संचित पेंशन फंड में से सरकार के अंशदान और उस पर बने प्रतिलाभ को ही सरकारी खजाने में अंतरित किया जाएगा। बाकी कर्मचारी के अंशदान से संचित पेंशन कार्पस की पूरी राशि प्रतिलाभ सहित नॉमिनी को लौटा दी जाएगी।
– अगर किसी को नॉमिनी नहीं घोषित किया गया है तो यह रकम विधिक उत्तराधिकारी को दिया जाएगा।