मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित कई राज्यों में रामनवमी व हनुमान जन्म उत्सव के दौरान हुए उपद्रव को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त तेवर अपनाया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बिना अनुमति के कोई भी शोभायात्रा या धार्मिक जुलूस नहीं निकाला जाएगा। अनुमति केवल उन्हीं को दी जाएगी जो परंपरागत है। नए आयोजनों के लिए लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
माहौल खराब करने वालों पर कार्रवाई मुख्यमंत्री ने कहा है कि हर त्यौहार शांति और सौहार्द के साथ संपन्न हो इसके लिए स्थानीय जरूरतों को देखते हुए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। धार्मिक कार्यक्रम पूजा-पाठ निर्धारित स्थल पर हों। यहां सुनिश्चित करें कि सड़क मार्ग यातायात बाधित न किया जाए। शरारत पूर्व बयान या माहौल खराब करने की कोशिश करने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
लाउडस्पीकर को लेकर नियम लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए संविधान में नॉइस पोलूशन रेगुलेशन एंड कंट्रोल रूल्स 2000 में प्रावधान दिए गए हैं। जिसके तहत यदि लाउडस्पीकर का प्रयोग सार्वजनिक स्थान पर किया जा रहा है तो उसके लिए प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य है। एक्ट के तहत रात को 10:00 से सुबह 6:00 के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। हालांकि, ऑडिटोरियम व कांफ्रेंसहाल में लाउडस्पीकर लगाया जा सकता है। एक्ट के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह लाउडस्पीकर के प्रयोग की अनुमति दे सकती हैं।
कितनी होनी चाहिए लाउडस्पीकर की ध्वनि साइलेंस जोन जैसे कि अस्पताल, स्कूल के 100 मीटर के दायरे में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इंडस्ट्रियल एरिया में ध्वनि का स्तर दिन के समय में 75 डेसीबल और रात में 70 डेसीबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कमर्शियल क्षेत्र में दिन में लाउडस्पीकर की ध्वनि 65 डेसीबल और रात में 55 डेसीबल से अधिक नहीं होनी चाहिए। रिहायशी इलाके में दिन के वक्त लाउडस्पीकर की ध्वनी का स्तर 55 डेसीबल और रात के समय 45 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए।
यह हो सकती है कार्यवाही लाउडस्पीकर को लेकर बनाएंगे नियमों के तोड़ने पर एनवायरमेंट प्रोटक्शन एक्ट 1986 के तहत 5 साल की कैद और ₹100000 तक का जुर्माना का प्रावधान है