लखनऊ

किशोरावस्था में एनीमिया की रोकथाम के लिए WIFS कार्यक्रम शुरू, शिक्षकों की निगरानी में होगा यह काम

किशोरावस्था में एनीमिया की रोकथाम के लिए साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण (विफ़्स) एवं जूनियर विफ़्स कार्यक्रम.

लखनऊMar 07, 2019 / 07:33 pm

Abhishek Gupta

Anemia

लखनऊ. राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण (Weekly Iron and Folic Acid Supplementation – WIFS) कार्यक्रम चलाया जा रहा है | इसमें एनीमिया की रोकथाम के लिए जीवन चक्र पर आधारित रणनीति को अपनाया गया है| इस रणनीति के अंतर्गत 10-19 वर्ष के सभी किशोर-किशोरियों के लिए विफ़्स कार्यक्रम तथा 5-10 वर्ष के सभी बच्चों के लिए विफ़्स जूनियर कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है| इन कार्यक्रमों का क्रियान्वयन स्वास्थ्य विभाग, महिला विकास विभाग (आईसीडीएस) एवं शिक्षा विभाग के समन्वय से किया जा रहा है|
10-19 वर्ष के किशोरों को आईएफए की नीली गोली (100 मिग्रा आयरन एवं 500 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड) हर सोमवार को खिलाई जाती है| सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में आईएफए की नीली गोली का सेवन हर सोमवार को शिक्षकों की निगरानी में किया जाता है | 10-19 वर्ष की स्कूल न जाने वाली विवाहित और अविवाहित किशोरियों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा एएनएम की निगरानी में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वी.एच.एस.एन.डी.) के दिन आयरन की गोली का सेवन कराया जाता है| राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस (नेशनल डिवर्मिंग डे ) पर कृमि संक्रामण की रोकथाम हेतु एल्बेण्डाज़ोल की 400 मिग्रा की गोली वर्ष में 2 बार ( फरवरी एवं अगस्त ) खिलाई जाती है|
एनीमिया की पहचान हेतु स्क्रीनिंग-
10-19 वर्ष के किशोर/किशोरियों में माध्यम एवं गंभीर एनीमिया की जांच एवं उनका चिंहांकन कर उन्हें निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा जाता है | विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र छात्राओं का परीक्षण शिक्षक द्वारा किया जाता है | स्कूल न जाने वाली किशोरियों का परीक्षण आशा/ आंगनवाड़ी /एएनएम द्वारा वीएचएसएनडी व गृह भ्रमण के दौरान किया जाता है | यदि एनीमिया पाया गया तो किशोर/किशोरी को निकटतम स्वास्थ्य पर संदर्भित किया जाता है | एनीमिया का परीक्षण हथेली, नाखूनों, आँख व जीभ में लालिमा की कमी देखकर किया जाता है |
एनीमिया क्या है ?

यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक व मानसिक क्षमता को भी विपरीत रूप से प्रभावित करती है| हमारे रक्त में हीमोग्लोबिन नामक तत्व है जो प्रोटीन एवं आयरन का संयोजन होता है | इस तत्व के कारण ही रक्त लाल दिखाई देता है | रक्त में आवश्यक स्तर से कम हीमोग्लोबिन की मात्रा होने की स्थिति को एनीमिया कहते हैं| हीमोग्लोबिन मुख्य रूप से बोनमेरो में बनता है| इसके निर्माण हेतु आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी-12 एवं कई सूक्ष्म पोषक तत्व अति आवश्यक हैं|
किशोरियों में सामान्य हीमोग्लोबिन – > 12gm/dl
किशोरों में सामान्य हीमोग्लोबिन -> 13gm/dl

रक्त में उपरोक्त स्तर से कम हीमोग्लोबिन की मात्रा होने की स्थिति को एनीमिया कहते हैं

किशोरावस्था में एनीमिया का खतरा अधिक क्यों-
किशोरावस्था में मासिक धर्म की शुरुआत होने के कारण और सही खान-पान न होने की वजह से किशोरियों में आयरन की कमी का अधिक खतरा होता है | इस दौरान गर्भ धारण करने की स्थिति में किशोरियों में एनीमिया होने की संभावना अधिक होती है | किशोर इस उम्र में अपने स्वास्थ्य एवं खान पान पर ध्यान नहीं देते हैं | जिसके कारण उनमें आयरन एवं अन्य पोषक तत्वों की कमी का खतरा अधिक होता है | हमारे समाज में बालक-बालिकाओं में भेदभाव के कारण किशोरियों की बढ़ती उम्र के दौरान उनके खान पान पर समुचित ध्यान न देने के कारण उनमें एनीमिया होने नी संभावना बढ़ जाती है |
किशोर/किशोरियों में एनीमिया के संभावित कारण-
शरीर में आयरन की मांग बढ़ जाती है तथा भोज्य पदार्थों में आयरन की मात्रा का कम होना | शरीर द्वारा आयरन का कम अवशोषण होना | सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन-B -12, फोलिक एसिड की कमी, विटामिन सी की कमी | कृमि संक्रमण भी एक कारण होता है | आनुवांशिक रोग जैसे सिकल सेल एनीमिया व थैलेसीमिया | माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव का होना |
क्या होता है एनीमिया चक्र ?
गर्भवती महिला, अगर एनीमिया ग्रसित हो व गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलियों का सेवन नहीं करती है तो उसकी स्थिति वैसी ही बनी रहती है | प्रसव के दौरान समस्या गंभीर हो जाती है जिसके कारण या तो उसकी मौत हो जाती है या कम वजन का बच्चा पैदा होता है | नवजात में हीमोग्लोबिन की कमी रहती है और यह समस्या स्तनपान कराने वाली माँ और बच्चे में बढ़ती जाती है | छः माह के उपरांत समय से ऊपरी आहार शुरू न करने पर व आयरनयुक्त भोजन/आयरन सप्लिमेंट न लेने पर बढ़ती जाती है | किशोरावस्था में एनीमिया की स्थिति और गंभीर हो जाती है क्यूंकि इस समय शरीर का विकास तेजी से होता है | किशोरियों में माहवारी भी शुरू हो जाती है | आयरन उपभोग की कमी से समस्या गंभीर हो जाती है | यही एनीमिक किशोरी आगे चलकर एनीमिक मां बनती है|

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