10-19 वर्ष के किशोर/किशोरियों में माध्यम एवं गंभीर एनीमिया की जांच एवं उनका चिंहांकन कर उन्हें निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा जाता है | विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र छात्राओं का परीक्षण शिक्षक द्वारा किया जाता है | स्कूल न जाने वाली किशोरियों का परीक्षण आशा/ आंगनवाड़ी /एएनएम द्वारा वीएचएसएनडी व गृह भ्रमण के दौरान किया जाता है | यदि एनीमिया पाया गया तो किशोर/किशोरी को निकटतम स्वास्थ्य पर संदर्भित किया जाता है | एनीमिया का परीक्षण हथेली, नाखूनों, आँख व जीभ में लालिमा की कमी देखकर किया जाता है |
किशोरों में सामान्य हीमोग्लोबिन -> 13gm/dl रक्त में उपरोक्त स्तर से कम हीमोग्लोबिन की मात्रा होने की स्थिति को एनीमिया कहते हैं किशोरावस्था में एनीमिया का खतरा अधिक क्यों-
किशोरावस्था में मासिक धर्म की शुरुआत होने के कारण और सही खान-पान न होने की वजह से किशोरियों में आयरन की कमी का अधिक खतरा होता है | इस दौरान गर्भ धारण करने की स्थिति में किशोरियों में एनीमिया होने की संभावना अधिक होती है | किशोर इस उम्र में अपने स्वास्थ्य एवं खान पान पर ध्यान नहीं देते हैं | जिसके कारण उनमें आयरन एवं अन्य पोषक तत्वों की कमी का खतरा अधिक होता है | हमारे समाज में बालक-बालिकाओं में भेदभाव के कारण किशोरियों की बढ़ती उम्र के दौरान उनके खान पान पर समुचित ध्यान न देने के कारण उनमें एनीमिया होने नी संभावना बढ़ जाती है |
शरीर में आयरन की मांग बढ़ जाती है तथा भोज्य पदार्थों में आयरन की मात्रा का कम होना | शरीर द्वारा आयरन का कम अवशोषण होना | सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन-B -12, फोलिक एसिड की कमी, विटामिन सी की कमी | कृमि संक्रमण भी एक कारण होता है | आनुवांशिक रोग जैसे सिकल सेल एनीमिया व थैलेसीमिया | माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव का होना |
गर्भवती महिला, अगर एनीमिया ग्रसित हो व गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलियों का सेवन नहीं करती है तो उसकी स्थिति वैसी ही बनी रहती है | प्रसव के दौरान समस्या गंभीर हो जाती है जिसके कारण या तो उसकी मौत हो जाती है या कम वजन का बच्चा पैदा होता है | नवजात में हीमोग्लोबिन की कमी रहती है और यह समस्या स्तनपान कराने वाली माँ और बच्चे में बढ़ती जाती है | छः माह के उपरांत समय से ऊपरी आहार शुरू न करने पर व आयरनयुक्त भोजन/आयरन सप्लिमेंट न लेने पर बढ़ती जाती है | किशोरावस्था में एनीमिया की स्थिति और गंभीर हो जाती है क्यूंकि इस समय शरीर का विकास तेजी से होता है | किशोरियों में माहवारी भी शुरू हो जाती है | आयरन उपभोग की कमी से समस्या गंभीर हो जाती है | यही एनीमिक किशोरी आगे चलकर एनीमिक मां बनती है|