सैफई के मुलायम परिवार के वर्तमान में 20 से अधिक सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं। उनके सुपुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। बहू डिम्पल यादव और पोते तेज प्रताप सिंह समेत घर में 5 लोग लोकसभा सदस्य और भाई रामगोपाल राज्यसभा सांसद हैं। हाल ही में मुलायम के एक भाई शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के नाम से नया दल बनाया है। इसके अलावा यादव परिवार के ही बेटे-बेटियों और बहओं के पास ही जिला पंचायत अध्यक्ष, सदस्य, जिला विकास परिषद आदि के ढेरों पद हैं। इतना ही नहीं परिवार के अन्य सदस्य पॉलिटिकल एंट्री को तैयार हैं।
भारतीय राजनीति में वंशवाद की परम्परा शुरू करने का श्रेय नेहरू-गांधी परिवार को ही जाता है। इसी परिवार ने देश को जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के रूप में तीन प्रधानमंत्री दिये। नेहरू-गांधी परिवार में वंशवाद की इस बेल को सोनिया गांधी ने आगे बढ़ाया। पर्दे के पीछे रहकर शासन किया। वर्तमान में सोनिया के सुपुत्र राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सुपुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस महासचिव हैं। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और उनके सांसद सुपुत्र वरुण गांधी इसी परिवार के सदस्य हैं।
यूपी की राजनीति में भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की तीसरी पीढ़ी सक्रिय है। बेटा अजित सिंह राष्ट्रीय लोकदल का राष्ट्रीय अध्यक्ष है और कई बार सांसद रह चुके हैं। केंद्र की विभिन्न सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। अजित के सुपुत्र जयंत चौधरी 2009 में मथुरा से सांसद रहे हैं। इस बार पार्टी में वह सक्रिय भूमिका में हैं। बीते विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक कई बार जयंत की पत्नी चारू चौधरी के भी सक्रिय राजनीति में उतरने की चर्चाएं हुई हैं, लेकिन अभी तक वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान के मौजूदा राज्यपाल कल्याण सिंह के परिवार में भी वंशवाद की झलक दिखती है। उनके सुपुत्र राजवीर सिंह वर्तमान में एटा से सांसद हैं। राजवीर की पत्नी व कल्याण की पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा भी विधायक रह चुकी हैं। नाती संदीप सिंह अलीगढ़ के अतरौली से विधायक हैं, वर्तमान में जिनके पास योगी सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री का पद है।
शाहजहांपुर के प्रसाद भवन की राजनीति में खासी पहचान रही है। परिवार के मुखिया व दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे स्वर्गीय कुंवर जितेंद्र प्रसाद उर्फ बड़े बाबा साहब और स्वर्गीय कुंवर जयेंद्र प्रसाद उर्फ छोटे बाबा साहब के नाम से थी। इन दोनों नेताओं की लखनऊ से लेकर दिल्ली की राजनीति तक अपनी अलग पहचान थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद रहे जितिन प्रसाद इसी परिवार के वंशवाद की बेल को आगे बढ़ा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व दिग्गज भाजपा नेता राजनाथ सिंह वर्तमान में केंद्रीय गृहमंत्री हैं। वह कई बार सांसद-विधायक व केंद्रीय मंत्री रहे। उनके सुपुत्र पंकज सिंह यूपी की राजनीति में सक्रिय हैं। मौजूदा समय में वह नोएडा से विधायक हैं। भाजपा के यूपी महासचिव का पद भी उनके पास है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता आरपीएन सिंह को भी राजनीति विरासत में मिली है। इनके पिता सीपीएन सिंह केंद्रीय मंत्री रहे हैं। तीन बार विधायक रहे आरपीएन सिंह 2009 में सांसद चुने गये और केंद्र सरकार में मंत्री बने थे। संगठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
आरएसएस पृष्ठभूमि के दिग्गज भाजपा नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी लंबे से यूपी की राजनीति में सक्रिय हैं। संगठन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इनके सुपुत्र शरद त्रिपाठी संतकबीरनगर से भाजपा सांसद हैं। हाल ही में जो जूताकांड को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।
पूर्वांचल के दिग्गज नेता पंडित हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा से कई बार विधायक चुने गये। कई सरकारों में मंत्री भी रहे। उनके छोटे सुपुत्र विनय शंकर तिवारी 2017 में बसपा के टिकट पर चिल्लूपार से विधायक चुने गये। बड़े सुपुत्र कुशल तिवारी संतकबीर नगर से सांसद रह चुके हैं। हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेशशंकर पांडेय कई बार एमएलसी और विधानपरिषद के सभापति भी रह चुके हैं।
मनिकापुर स्टेट के राजा आनंद सिंह गोंडा से कई बार सांसद रहे हैं। 2012 में सपा के टिकट पर वह विधायक चुने गये थे। उनका बेटा कीर्तिवर्धन सिंह वर्तमान में गोंडा से भाजपा सांसद हैं।
यूपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री व समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान यूपी की राजनीति में सक्रिय हैं। वह कई बार विधायक बने और सरकार में मंत्री भी रहे। उनके सुपुत्र अब्दुल्ला आजम स्वार विधानसभा सीट से वर्तमान में विधायक हैं। आजम खान की बेगम डॉ. तजीन फातिमा वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं।
मायावती से विवाद के बाद बसपा के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी में हैं। बसपा सरकार में कई बार मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सुपुत्र अफजल सिद्दीकी भी राजनीति में सक्रिय हैं। निष्कासित होने से पहले उनके पास बसपा संगठन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थी। इनके अलावा भी कई परिवार हैं जो यूपी की राजनीति में वंशवाद की बेल आगे बढ़ा रहे हैं।