“तुम बटने-कटने का राग लिखो, हम तारीख का हिसाब लिखेंगे।
तुम नफरत का योग लिखो, हम तरक्की का संयोग लिखेंगे।
तुम जमीन पर जुल्म लिखो, हम आसमान में पीडीए का इंकलाब लिखेंगे।” यह पोस्टर साफ तौर पर मौजूदा राजनीति में हो रही कटुता और समाज को विभाजित करने की प्रवृत्ति के खिलाफ एक प्रतिक्रिया है। सपा नेता इखलाक का यह संदेश सपा के नेता अखिलेश यादव द्वारा पिछले कुछ समय से प्रचारित किए जा रहे ‘पीडीए’ के नारे के समर्थन में है। सपा का पीडीए एजेंडा विशेष रूप से पिछड़े, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान के लिए है, और इस संदेश में पार्टी के ‘तरक्की’ और ‘इंकलाब’ के विचारों को मजबूत किया गया है।
पोस्टर पर अंकित शब्द, ‘हम तरक्की का संयोग लिखेंगे,’ यह बताने का प्रयास करते हैं कि सपा की राजनीति लोगों के जीवन स्तर में सुधार, शिक्षा, और रोजगार सृजन पर आधारित है, जो समाज को नफरत से ऊपर उठाने में योगदान देगा। इसके विपरीत, ‘तुम बटने-कटने का राग लिखो,’ जैसी पंक्तियों का उद्देश्य विरोधी पक्ष पर निशाना साधते हुए यह बताना है कि कुछ शक्तियाँ समाज को विभाजित कर रही हैं। सपा का यह दृष्टिकोण उसे एक सकारात्मक बदलाव और प्रगतिशील राजनीति का प्रतीक बनाता है।
सियासी हलकों में इस पोस्टर को सपा के आगामी चुनावी एजेंडे के एक प्रमुख संदेश के रूप में देखा जा रहा है। सपा के मुताबिक, इस समय का राजनीतिक परिदृश्य जनता को नफरत और असमानता की ओर ले जा रहा है, जिससे वह असंतोष और निराशा का सामना कर रही है। वहीं, सपा का उद्देश्य ऐसे मुद्दों को मुख्य धारा में लाकर उन्हें विकास की राह पर ले जाना है।
समाज में प्रतिक्रिया
इस पोस्टर वार के बाद लखनऊ की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। सपा समर्थकों में इसे लेकर उत्साह देखा जा रहा है, जबकि विरोधी दलों में इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस तरह के पोस्टर न केवल जनता में जागरूकता फैलाते हैं, बल्कि पार्टी के विचारों को भी स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं।