राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिन नौ सीटों पर अभी उपचुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से एक भी सीट पर बसपा का खाता नहीं खुला था। बसपा ने महज बलिया की रसड़ा सीट पर जीत दर्ज की थी। अब अगर 2022 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो बसपा आंबेडकर नगर की कटेहरी सीट पर तीसरे नंबर पर आई थी। यहां उनके प्रत्याशी प्रतीक पांडेय को 58,186 वोट मिले। इस सीट पर सपा के लालजी वर्मा ने जीत दर्ज की थी।
मीरापुर में तीसरे स्थान पर रही बसपा
मीरापुर विधानसभा में बसपा तीसरे स्थान पर रही थी। उसके उम्मीदवार को 23,733 वोट मिले थे। इस सीट पर रालोद के उम्मीदवार चंदन चौहान ने जीत दर्ज की थी।
गाजियाबाद में भी बसपा तीसरे नंबर पर थी। यहां उसके उम्मीदवार को 32,554 वोट मिले थे। यहां पर भाजपा के उम्मीदवार अतुल गर्ग को जीत मिली थी।
कुंदरकी में बसपा को मिले 42,645 वोट
कुंदरकी विधानसभा में भी बसपा तीसरे स्थान पर रही। उसके उम्मीदवार को 42,645 वोट मिले थे। कानपुर के सीसामऊ सीट पर बसपा चौथे नंबर पर थी। इस सीट से पार्टी के उम्मीदवार को महज 2,891 वोट मिले थे। जबकि यहां से सपा के हाजी इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की थी। मैनपुरी में बसपा प्रत्याशी को मिले 15,643 वोट
मैनपुरी की करहल सीट पर बसपा प्रत्याशी 15,643 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर था। यहां से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी। उनके सांसद चुने जाने बाद इस सीट पर चुनाव हो रहा है। इसी तरह मिर्जापुर की मझवां सीट पर भी बहुजन समाज पार्टी तीसरे नंबर पर आई थी। उसके उम्मीदवार को 52,825 वोट मिले थे। यहां से निषाद पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।
खैर सीट पर बसपा दूसरे नंबर पर थी। पार्टी के उम्मीदवार को 64,996 वोट मिले थे। इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार अनूप प्रधान ने जीत दर्ज की थी। फूलपुर में 32,869 वोटों के साथ बसपा तीसरे स्थान पर रही थी। यह सीट भाजपा ने जीती थी।
बसपा के सामने बड़ा मौका लेकर आया यूपी उपचुनाव
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उपचुनाव
बसपा के सामने बड़ा मौका लेकर आया है। अकेले दम पर मैदान में उतरकर अपने कुछ सीटों पर उम्मीदवार भी उतारे हैं। उनके जो भी उम्मीदवार हैं वो जातीय समीकरण के सटीक हैं। नौ में से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर बसपा का जनाधार ठीक रहा है।
मझवां सीट पर कई बार जीत चुकी है बसपा
मझवां सीट पर बसपा कई बार जीत दर्ज कर चुकी है। इसी तरह मीरापुर और कटेहरी सीट बसपा के लिए ज्यादा मुफीद रही है। लेकिन वर्तमान समय में चुनाव दर चुनाव में मिली हार की वजह से उसकी हालत पतली है। बसपा को इस चुनाव में सिद्ध करना होगा। मत प्रतिशत बढ़ाकर जनाधार साबित करना होगा। इस चुनाव के जरिए ही बसपा दलित मतदाताओं का सही आकलन भी कर सकेगी। हालांकि, बसपा पहले उपचुनाव से दूरी बनाती थी। लेकिन इस बार बहुत पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है।
उन्होंने आगे कहा कि बिना किसी दल के साथ गठबंधन किए ही पार्टी अकेले दम पर मैदान में है। हालांकि, पार्टी के पास लीडरशिप का भी संकट है। इस कारण यह चुनाव उसके लिए बड़ी चुनौती है।
उपचुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी बसपा
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं कि उपचुनाव में हमारी पार्टी अकेले दम पर मैदान में है। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर बहन जी के हाथों को मजबूत करें। चुनाव को लेकर लगातार नेताओं की छोटी बड़ी जनसभाएं चल रही हैं। हमने कटेहरी से अमित वर्मा मझवां से दीपू तिवारी, फूलपुर में शिव बरन पासी को उम्मीदवार बनाया गया है। बचे हुए नाम एक दो दिन में आ जाएंगे। जहां-जहां चुनाव है वहां चौपाल और जनसभाएं चल रही हैं। ‘चंद्रशेखर का मीडिया हौव्वा खड़ा कर रही’
बसपा सुप्रीमो ने कोऑर्डिनेटरों से अपने-अपने क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर कैंप करने का निर्देश दिया है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा मीडिया हमको लड़ाई में नहीं दिखाती है। जबकि हमारी तैयारी सभी दलों से बहुत पहले से है। कार्यकर्ता पूरी दम से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि चंद्रशेखर का मीडिया हौव्वा खड़ा कर रही है।
18 अक्टूबर से शुरू होगा नामांकन
ज्ञात हो कि यूपी में निर्वाचन आयोग द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर होगी। 28 अक्टूबर को नामांकन की जांच के बाद नाम वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर होगी। मतदान 13 नवंबर और मतगणना 23 नवंबर को होगी।