आई बड़ी खबर, जुलाई के पहले सप्ताह से ही सपा-बसपा करने जा रही ये बड़ा काम, कांग्रेस-भाजपा ने उठाया ऐसा कदम
लखनऊ. अब उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों ने होने वाले उपचुनाव (by election) के लिए कमर कस ली है। उपचुनाव फतह करने के लिए सभी पार्टियों ने जुलाई के पहले सप्ताह से फिल्डिंग सजानी शुरू करेंगे। हालाकि, भाजपा अपनी जमीन मजबूत बनाए रखने के लिए एक जुट हो गई है। उपचुनाव में भी कमल खिले इसके लिए बीजेपी के रणनीतिकार लगातार बैठकें कर रहे हैं। मायावती (Mayawati) दो जुलाई से मंडलवार समीक्षा करेंगी और होने वाले उपचुनाव के लिए संगठन के पेंच कसेंगी। वहीं लोकसभा चुनाव में मनमाफिक नतीजे ना आने से हताश समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी संगठन में बड़े बदलाव की रूपरेखा तैयार कर ली है। कांग्रेस (Congress) में भी इस्तीफा का दौर जारी है। जल्द ही कांग्रेस का आलाकमान नेतृत्व कांग्रेस में जान फूंकने के लिए नए चेहरों को जिम्मेदारी दे सकता है।
मायावती दो जुलाई से करेंगी मंडलवार समीक्षा बसपा सुप्रीमो मायावती दो जुलाई से मंडलवार बैठकें करने जा रही हैं। इसमें भाईचारा कमेटियों के गठन से जुड़े काम की समीक्षा व उपचुनाव की तैयारियों के संबंध में जरूरी दिशानिर्देश दिए जाएंगे। पहले दिन सेक्टर एक के चार मंडलों बरेली, चित्रकूट, कानपुर व झांसी की बैठक करेंगी। इसके बाद 6 जुलाई को इसी सेक्टर के लखनऊ मंडल की बैठक करेंगी। मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़कर खुद उप चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। वह इन दिनों लखनऊ में हैं और संगठन को सक्रिय करने को लेकर लगातार बैठकें कर रही हैं। बसपा सुप्रीमो विधानसभा उप चुनाव वाले क्षेत्रों में सेक्टर व बूथ कमेटियां चुनाव से पहले कराना चाहती हैं। इसके लिए सेक्टर प्रभारियों को निर्देश दिया जा चुका है। बसपा सुप्रीमो ने पूरे यूपी को चार सेक्टरों में बांटा है।
सपा में होगा बड़ा बदलाव सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विदेश यात्रा से लौटकर प्रदेश से लेकर जिलों तक संगठन की कायाकल्प करेंगे। सूत्रों के मुताबिक जुलाई के पहले सप्ताह से ही उपचुनाव की तैयारियों के साथ ही सपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही संगठनों में भी नए अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद ऐसी अटकलें लगना शुरू हो गई थी कि प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की जगह किसी और नेता को प्रदेश में संगठन की बागडोर सौंपी जा सकती है। उत्तम को संगठन में कोई और दायित्व दिया जा सकता है। मोर्चों व प्रकोष्ठों में भी नए चेहरे सामने लाए जाएंगे। बदलाव का क्रम ऊपर से नीचे तक चलेगा। बहुत संभव है कि जिला इकाइयां भंग कर दी जाएं और जिलों में नए अध्यक्ष नामित किए जाएं।
विपक्ष को कमजोर करने में जुटी भाजपा लोकसभा चुनाव 2019 में बड़ी जीत के बाद बीजेपी ने अब अपने मास्टरस्ट्रोक चलने शुरू कर दिए हैं। यूपी के जिन 12 सीटों पर उपचुनाव होने हैं बीजेपी उसे हर सूरत में जीतना चाहती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभागवार मंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक कर न सिर्फ अब तक हुए कामों अौर योजनाओं की स्थिति समझी, बल्कि अगले ढाई सालों का लक्ष्य भी निधार्रित कर दिया है। भाजपा सरकार जहां लोगों के हिंदुत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व सरोकारों का संदेश देने में जुटी है, वहीं १७ अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने का फैसला कर सपा व बसपा के बचे-खुचे आधार को भी कमजोर करने का प्रयास किया है।
प्रियंका कर सकती हैं पूर्वी यूपी का दौरा संगठन को मजबूद करने की कड़ी में कांग्रेस महासचिव व पूर्वी यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी जुलाई में पूर्वी यूपी का दौरा कर सकती हैं। इस दौरान संगठन की समीक्षा के लिए खुली बैठक होगी। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद बराबर पार्टी सक्रिय हैं और संगठन में ऐसे लोगों को बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। जिनका कांग्रेस की विचारधारा से विश्वास हो। प्रियंका गांधी लगातार दिल्ली रायबरेली जिलों के नेताओं से मिल चुकी हैं। वहीं उनकी कुछ टीम में भी जिलों का दौरा कर रही है। हर टीम को एक-एक जिले में न्यूनतम 2 दिन रह कर संगठन की समीक्षा करनी है। सबसे मिलने वाले फीडबैक के बाद उन्होंने अनुशासन समिति भी गठित कर दी है, जो उनको मिलने वाली शिकायतों की समीक्षा करेगी और अपनी जांच रिपोर्ट प्रियंका गांधी को सौंपेंगी।
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