यूपी पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर सस्पेंस खत्म, पंचायती राजमंत्री ने आरक्षण को लेकर भी साफ की पूरी तस्वीर
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव अब नजदीक ही हैं। योगी सरकार में पंचायती राजमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह ने तारीखों और आरक्षण को लेकर बयान देकर साफ कर दिया है कि त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक पूरे हो जाएंगे। साथ ही पंचायती राजमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह के बयान से साफ हो गया है कि इस बार पंचायत चुनाव में आरक्षण रोटेशन के आधार पर ही लागू होगा। पंचायती राजमंत्री के मुताबिक 2015 में हुए चुनाव के समय जैसे रोटेशन प्रक्रिया को शून्य घोषित करके नए सिरे से आरक्षण जारी किया गया था, इस बार वैसा नहीं होगा। इस बार रोटेशन प्रक्रिया के तहत आरक्षण होगा, जिससे जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायतों की करीब 70 फीसदी सीटों की मौजूदा स्थिति में बदलाव की सभांवना बनी रहेगी।
भाजपा ने कसी कमर दरअसल यूपी पंचायत चुनावों को विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी समेत सभी विपक्षी दलों ने आगामी पंचायत चुनावों की तैयारी को लेकर पूरी तरह से कमर कस ली है। बीजेपी ने पंचायत चुनाव को लेकर जिला और महानगर प्रभारियों की घोषणा कर दी है। प्रदेश के लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा विपक्षी दलों ने भी अपनी कसरत शुरू कर दी है। वहीं किसानों के आंदोलन के इर्द-गिर्द सपा की राजनीति सरकार को घेरने की है। सपा गांव में चौपाल लगाकर जीत का रास्ता बना रही है। तो वहीं बहुजन समाज पार्टी ग्राम पंचायत चुनावों में पैठ बनाने के लिए और साल 2022 को ध्यान में रखते हुए सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर रणनीति बना रही है।
कांग्रेस ने भी झोंकी ताकत सपा-बसपा के साथ ही कांग्रेस भी पंचायत चुनावों की लड़ाई में पिछड़ ना जाए, इसके लिए कई प्रभारी बनाए गए हैं। संगठन पर फोकस कर इसे विस्तार देने की रणनीति कांग्रेस ने बनाई है। दरअसल कांग्रेस पिछली हारों से उबरने के लिए भी यूपी पंचायत चुनावों में पूरी ताकत झोंकना चाहती है। तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी और AIMIM भी पंचायत चुनावों में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी तैयारियों को परखना चाहती है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इन दोनों पार्टियां को भले ही चुनाव में ज्यादा फायदा न हो, लेकिन ये दूसरी विपक्षियों पार्टियों को बड़ी नुकसान जरूर पहुंचा सकती है।