साल 1973। गोरखपुर के मामखोर गांव में एक सरकारी टीचर के घर एक लड़के का जन्म हुआ। नाम रखा श्रीप्रकाश शुक्ल। 20 साल की उम्र तक वो लड़का स्कूल जाता, घर पर दोस्तों के साथ खेलता, परिवार के साथ रहकर नॉर्मल जिंदगी जी रहा था। पर अब धीरे-धीरे लड़के का मन पढ़ाई छोड़कर रंगबाजी में लगने लगा।
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साल 1993। एक 16 साल की लड़की स्कूल से घर वापस जा रही थी। रास्ते में राकेश तिवारी नाम के एक आदमी ने उसके साथ छेड़छाड़ की। लड़की रोते हुए घर पहुंची और पूरी बात अपने पिता को बताने लगी। ये लड़की श्रीप्रकाश की बहन थी। जब वो पूरी बात अपने पिता को बता रही थी, उसी वक्त श्रीप्रकाश को भी अपनी बहन के साथ हुई बदतमीजी का पता चल गया।उमेशपाल हत्याकांड में अब तक 183 बदमाशों का एनकाउंटर, एडीजी ने बताया ये प्लान
पहली थी पुलिस और दूसरा गोरखपुर के बाहुबली हरिशंकर तिवारी। पुलिस श्रीप्रकाश को सजा देने के लिए खोज रही थी और हरिशंकर उसे इनाम देने के लिए। इसके बाद 22 सितम्बर 1998 को यूपी एसटीएफ ने श्री प्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर कर दिया।वाराणसी के छोटे से गांव का रहने वाला 17 वर्षीय सुभाष सिंह ने अपराध की दुनिया में उस वक्त कदम रखा था, जब वो 90 के दशक में मुम्बई काम की तलाश में पहुंचा। संयोग से उन दिनों एक ऐसा वाकया हो गया, जिस ने सुभाष की जिदंगी बदल दी। विरार इलाके में पावभाजी का ठेला लगाने वाले उस के एक दोस्त से हफ्तावसूली को ले कर मराठी गुंडों का झगड़ा हो गया।
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सुभाष कदकाठी और ताकत में ऐसा था कि किसी को भी पहली नजर में डरा देता था. सुभाष ने उस दिन पहली बार उन मराठी गुंडों की जम कर पिटाई कर दी। अंजाम ये हुआ कि लोकल मराठी लड़कों ने पुलिस में अपनी सेटिंग के बूते सुभाष के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। पुलिस ने सुभाष को उठा लिया और जम कर पिटाई कर के उसे जेल भेज दिया।STF की इस टीम ने लोकेशन ट्रेस कर असद को किया ढेर, जानिए टीम को किसने किया लीड
फिर वहीं से सुभाष ठाकुर की एंट्री जुर्म की दुनिया में हुई। इसके बाद सुभाष ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो एक बाद एक ताबड़तोड़ वारदात को अंजाम देता गया। इसी वजह से जुर्म की काली दुनिया में सुभाष ठाकुर के नाम का दबदबा भी बहुत तेजी से बढ़ता गया। मुंबई में लोग सुभाष ठाकुर के नाम से कांपने लगे थे। सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा को यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन कहा जाता है।यूपी में कई बाहुबली हुए, लेकिन कुख्यात सुनील राठी को यूपी-उत्तराखंड का डॉन नंबर वन कहा गया। सुनील राठी पर एक अन्य कुख्यात मुन्ना बजरंगी को जेल के अंदर मारने का आरोप है। जेलें बदलने के बाद भी कुख्यात सुनील राठी अपराध की दुनिया में धमक बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
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90 का दशक था। पश्चिमी यूपी का बागपत ज़िला खेती-किसानी के लिए जाना जाता था। यहां अपराधियों की राजनीतिक खेमेबाजी से गैंगवॉर की घटनाएं बढ़ने लगीं। ऐसे ही माहौल में टिकरी के चेयरमैन बने सुनील राठी के पिता नरेश राठी। इलाक़े के बड़े किसान और राजनीतिक शख़्सियत।250 की आबादी वाले इस गांव में भरे पड़े हैं टॉप वन अधिकारी, नाम भी चौंकाने वाला
इस चौहरे हत्याकांड की पूरे प्रदेश में चर्चा हुई थी। इसके बाद वह बागपत से फरार हो गया। बागपत से भागकर वह दिल्ली में छिप गया। लेकिन, वह चुप बैठने वाला नहीं था। उसने दिल्ली के ही एक शोरूम में डकैती डाली और अपने साथियों के साथ वहां के तीन लोगों की हत्या कर दी।सुनील राठी का नाम साल 2018 में एक बार फिर सुर्खियों में आया। उस पर आरोप लगा यूपी के बड़े डॉन मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या का। बताया जाता है कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी, दोनों बंद थे। आरोप है कि राठी ने बजरंगी की बैरक में घुसकर उसका मर्डर किया।