UP News: 18वीं लोकसभा के शुरुआती दो दिनों में ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक फैसले ने समूचे विपक्ष का एजेंडा ही सेट कर दिया है। इसी के साथ ये भी तय कर दिया है कि इस बार सदन में सत्ता पक्ष के सामने विपक्ष किसी भी हाल में कमजोर नहीं रहने वाला है।
18वीं लोकसभा सत्र के पहले ही दिन की सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं विपक्ष की अगली सीट पर बैठे तीन नेताओं ने। सदन में विपक्ष दलों के लिए जो पहली पक्तिं की सीट थी, उसपर तीन नेता बैठे थे। एक कांग्रेस नेता राहुल गांधी थे। दूसरे थे सपा मुखिया अखिलेश यादव और तीसरे सांसद वो थे, जिनकी जीत ने पूरे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के माथे पर पसीना ला दिया है। उस सांसद का नाम है अवधेश प्रसाद। जिन्होंने अयोध्या लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है। अवधेश प्रसाद के इस जीत के मायने विपक्ष और समाजवादी पार्टी के लिए कितने बड़े हैं, उनके संसद में बैठने की जगह ने उसे तय कर दिया है।
अयोध्या सांसद का हाथ थामे संसद में दिखे अखिलेश यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जब संसद भवन के अंदर प्रवेश कर रहे थे, तो उनके एक हाथ में अयोध्या लोकसभा सीट से जीते हुए सांसद अवधेश प्रसाद का हाथ था और दूसरे हाथ में भारत के संविधान की प्रति थी। इसी के साथ अखिलेश यादव के पार्टी के जीते हुए सभी 36 सांसदों के हाथ में संविधान की प्रतियां थीं।
2024 के लोकसभा चुनाव में संविधान को एजेंडा बनाकर लड़े सपा ने बड़ी जीत हासिल की। संसद सत्र के पहले ही दिन राहुल गांधी और अखिलेश यादव के हाथ में संविधान की प्रति। संविधान बदलने की बात कहने वाले बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को हराकर संसद पहुंचने वाले अवधेश प्रसाद ने बिना कुछ कहे या बोले ही बता दिया है कि संसद का ये सत्र बीजेपी के लिए किसी भी कीमत पर आसान नहीं रहने वाला है।
दलित वोटर्स को साधने की कोशिश में अखिलेश यादव
अवधेश प्रसाद को अपने बगल में बिठाकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस खेल को रोमांचक बना दिया है। अखिलेश यादव ने इसके जरिए बीजेपी के साथ-साथ मायावती को भी मैसेज दिया है कि समाजवादी पार्टी में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले अवधेश प्रसाद की जगह अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बराबर की है।
अखिलेश यादव के सामने दलित मतदाताओं को सहेजने की चुनौती
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इसमें बीजेपी – सपा चुनाव तो लड़ेगी ही लड़ेगी। बसपा प्रमुख मायावती ने भी अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। ऐसे में परिवारवाद और यादव मतदाताओं को तवज्जो देने के आरोपों को झेलती समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के सामने अपने गैर यादव वोटों के साथ-साथ खास तौर से दलित मतदाताओं को सहेजने की भी चुनौती है।
Hindi News/ Lucknow / Akhilesh Yadav ने संसद से क्या सेट कर लिया यूपी विधानसभा उपचुनाव का एजेंडा ?