याचिकाकर्ता ने कहा है कि अध्यादेश का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जाएगा। अध्यादेश को हथियार बनाकर समाज में बुरे तत्व किसी को भी गलत तरीके से फंसा सकते हैं। इस कानून के इस्तेमाल से उनके साथ घोर अन्याय होगा। कानून के लागू होने से जनता को बड़े पैमाने पर नुकसान होगा और समाज में अराजक स्थिति पैदा होगी।
उत्तर प्रदेश में लव-जिहाद व धर्मांतरण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दी गई थी। इस पर राज्यपाल की मोहर लगने के बाद कानून बन चुका है। कानून में कड़े प्रावधान है। कानून के तहत छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के करने के मामले में दोषी को एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस साल तक की सजा हो सकती है।