राजनीतिक दोस्ती निभाने में हमेशा कमजोर साबित हुई हैं बसपा प्रमुख मायावती
कूपन बेचने का लगता है आरोप
बसपा (Bahujan Samaj Party) से जब भी लोग अलग होते हैं। तब बसपा प्रमुख मायावती पर एक ही आरोप लगता है। वह है टिकट बेचने का। कहा जाता है बसपा प्रमुख नेताओं को कूपन बेचवाने का लक्ष्य देती हैं। यह कूपन करोड़ों के होते हैं। निष्काषित नेताओ का आरोप होता है कि यह अप्रत्यक्ष रूप से टिकट की कीमत होती है। जो कीमत अदा नहीं कर पाता उसे अलग होना होता है। हालांकि, मायावती ऐसे सभी आरोपों को सख्ती से खंडन करती रही हैं।
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बसपा से निकले नेताओं ने बनायी पार्टी
बसपा का इतिहास है। हर विधानसभा या लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में टूट-फूट होती है। फिर एक नए दल का जन्म होता है। बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ काम करने वाले सोनेलाल पटेल पार्टी से निकले तो अपना दल (Apna Dal) बना। ओम प्रकाश राजभर (OM Prakash Rajbhar) ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बनायी। मायावती के करीबी रहे बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी है। इसी तरह आरके चौधरी ने बीएस-4 नाम से मोर्चा बनाया। जबकि, सावित्रीबाई फुले ने कांशीराम बहुजन समाज पार्टी दल बनाया है। उधर, मायावती के विश्वस्त रहे रामवीर उपाध्याय भी 11 पुराने बसपाइयों के साथ मिलकर अलग दल बनाने जा रहे हैं। ऐसी अटकलें हैं।
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अन्य दलों में गए कुछ नेता
बसपा के दिग्गज नेताओं में शुमार स्वामी प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक योगी सरकार (Yogi Sarkar) में मंत्री हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव है। 2007 में मायावती की सरकार में मंत्री रहे लालजी वर्मा, रामवीर उपाध्याय, ठाकुर जयवीर सिंह, सुधीर गोयल, वेदराम भाटी, चौधरी लक्ष्मी नारायण, राकेश धर त्रिपाठी, बाबू सिंह कुशवाहा, फागू चौहान, दद्दू प्रसाद, राम प्रसाद चौधरी, धर्म सिंह सैनी, राम अचल राजभर और इंद्रजीत सरोज अब पार्टी से बाहर हैं। इनमें कुछ सपा, कुछ भाजपा तो कुछ कांग्रेस में हैं।