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लखनऊ

Uttar Pradesh Assembly election 2022 : हर चुनाव से पहले बसपा में क्यों मचती है भगदड़, जानें- क्या है असली वजह

UP Assembly Election 2022 Updates: अब तक बसपा से निकले नेता बना चुके हैं पांच दल, हर विधानसभा चुनाव से पहले टूटती है पार्टी, अब 11 विधायक एकजुट, सपा अध्यक्ष से मिले, 9 विधायकों में से बसपा के पास बचे हैं 7 एमएलए

लखनऊJun 16, 2021 / 07:53 pm

Hariom Dwivedi

up elections 2022 why bsp leaders left expelled before elections
हरिओम द्विवेदी
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. UP Assembly Election 2022 Updates- उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव (uttar pradesh assembly elections 2022) से पहले एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी से निलंबित 11 विधायक एकजुट हैं। इन सभी ने लालजी वर्मा के नेतृत्व में नया दल बनाने का एलान किया है। मंगलवार को निलंबित छह विधायकों ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से मुलाकात की। नेताओं ने कहा, जल्द ही बसपा में एक और टूट होगी। बसपा में एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा। जब-जब भी चुनाव नजदीक आते हैं बसपा में बड़े पैमाने पर पार्टी से विधायक या तो निकाले जाते हैं या फिर एक विभाजन होता है।
17वीं विधान सभा में बसपा के कुल 19 विधायक जीते थे। इनमें से 11 विधायकों को मायावती (Mayawati) ने पार्टी से निलंबित या निष्कासित कर दिया है। उपचुनाव (UP Vidhansabha Upchunav) में पार्टी एक सीट हार गयी। अब सात विधायक बचे हैं। उनमें भी भगदड़ है। सियासी माहौल गरम है। लेकिन, मायावती निश्चिंत हैं। दो दिन पहले उन्होंने पार्टी समर्थकों को आगाह किया, कॉडर पर भरोसा करें, बिक जाने वाले नेताओं पर नहीं। मायावती के इस आह्वान के बाद मंगलवार को श्रावस्ती के भिनगा से विधायक असलम राइनी ने खुली बगावत कर दी। उन्होंने कहा, 12 विधायकों के साथ वह नई पार्टी बनाने जा रहे हैं। राइनी सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी मिले। यह पहला मौका नहीं है, जब चुनाव से पहले बसपा में भगदड़ मची है। हर चुनाव से पहले बसपा में टूट-फूट होती है। कुछ को मायावती निकाल देती हैं कुछ खुद पार्टी छोड़ देते हैं। कुछ नई पार्टी बनाते हैं तो कुछ अन्य पार्टियों का दामन थाम लेते हैं।
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कूपन बेचने का लगता है आरोप
बसपा (Bahujan Samaj Party) से जब भी लोग अलग होते हैं। तब बसपा प्रमुख मायावती पर एक ही आरोप लगता है। वह है टिकट बेचने का। कहा जाता है बसपा प्रमुख नेताओं को कूपन बेचवाने का लक्ष्य देती हैं। यह कूपन करोड़ों के होते हैं। निष्काषित नेताओ का आरोप होता है कि यह अप्रत्यक्ष रूप से टिकट की कीमत होती है। जो कीमत अदा नहीं कर पाता उसे अलग होना होता है। हालांकि, मायावती ऐसे सभी आरोपों को सख्ती से खंडन करती रही हैं।
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बसपा से निकले नेताओं ने बनायी पार्टी
बसपा का इतिहास है। हर विधानसभा या लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में टूट-फूट होती है। फिर एक नए दल का जन्म होता है। बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ काम करने वाले सोनेलाल पटेल पार्टी से निकले तो अपना दल (Apna Dal) बना। ओम प्रकाश राजभर (OM Prakash Rajbhar) ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बनायी। मायावती के करीबी रहे बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी है। इसी तरह आरके चौधरी ने बीएस-4 नाम से मोर्चा बनाया। जबकि, सावित्रीबाई फुले ने कांशीराम बहुजन समाज पार्टी दल बनाया है। उधर, मायावती के विश्वस्त रहे रामवीर उपाध्याय भी 11 पुराने बसपाइयों के साथ मिलकर अलग दल बनाने जा रहे हैं। ऐसी अटकलें हैं।
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अन्य दलों में गए कुछ नेता
बसपा के दिग्गज नेताओं में शुमार स्वामी प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक योगी सरकार (Yogi Sarkar) में मंत्री हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव है। 2007 में मायावती की सरकार में मंत्री रहे लालजी वर्मा, रामवीर उपाध्याय, ठाकुर जयवीर सिंह, सुधीर गोयल, वेदराम भाटी, चौधरी लक्ष्मी नारायण, राकेश धर त्रिपाठी, बाबू सिंह कुशवाहा, फागू चौहान, दद्दू प्रसाद, राम प्रसाद चौधरी, धर्म सिंह सैनी, राम अचल राजभर और इंद्रजीत सरोज अब पार्टी से बाहर हैं। इनमें कुछ सपा, कुछ भाजपा तो कुछ कांग्रेस में हैं।

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