लिखित परीक्षा से होगा प्रवेश
दरअसल शिक्षकों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लिखित परीक्षा से प्रवेश लेने का फैसला लिया है, क्योंकि डीएलड की सीटें भले ही दो लाख हों लेकिन डीएलएड करके शिक्षक भर्ती के लिए मान्य अध्यापक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test- UPTET) पास करने वाले अभ्यर्थी कम होते हैं। जैसे अगर साल 2020 का आंकड़ा देखा जाए तो यूपीटीईटी में प्राइमरी स्तर (UPTET Primary Level) पर 29.74 प्रतिशत तो उच्च प्राथमिक स्तर (UPTET Upper Primary) की परीक्षा में केवल 11.46 प्रतिशत अभ्यर्थी ही सफल हो पाए।
डीएलएड लिखित परीक्षा पर सस्पेंस
उसके बाद प्राइमरी स्कूल में शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा (UP Primary School Shikshak Bharti) में भी अभ्यर्थियों की सफलता का प्रतिशत कम होता है। उदाहरण के तौर पर 68000 शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए हुई लिखित परीक्षा में लगभग 55 हजार अभ्यर्थी ही पास हुए। प्राइमरी स्कूल में शिक्षक बनने के लिए डीएलएड (D.El.Ed.) के बाद टीईटी (TET) और फिर शिक्षक भर्ती (UP Shikshak Bharti) परीक्षा पास करना जरूरी है। हालांकि डीएलएड की लिखित परीक्षा को लेकर संशय बरकरार है क्योंकि अगर कोरोना संक्रमण इसी तरह रहा तो प्रवेश परीक्षा पर भी संकट है।
पिछले साल नहीं हुआ था प्रवेश
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के 67 जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों व 3103 निजी कालेजों में डीएलएड की दो लाख से ज्यादा सीटें हैं। लेकिन सरकार ने पिछले साल भी डीएलएड में प्रवेश नहीं लिया था, जबकि निजी कॉलेजों ने सरकार पर प्रवेश लेने के लिए दबाव बनाया था। लेकिन स्नातक की परीक्षाएं देर से होने के चलते प्रवेश नहीं हो पाए। इसलिए इस बार डीएलएड का नया सत्र (DELED New Session) शुरू होना तय है।