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अयोध्या में है भगवान श्रीराम की कुलदेवी का मंदिर, पूरी होती हैं भक्तों की सभी मुरादें

UP Travel Guide- अयोध्या से करीब 5 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण फैजाबाद शहर में देवकाली माता का मन्दिर स्थित है….

लखनऊOct 02, 2019 / 07:59 pm

Hariom Dwivedi

 Ayodhya badi devkali mandir

अयोध्या से करीब 5 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण फैजाबाद शहर में देवकाली माता का मन्दिर है

अयोध्या. UP Travel Guide शारदीय नवरात्र शुरू होते ही प्रदेश के सभी देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। हर मंदिर की अलग मान्यता और अपना इतिहास है। रामनगरी अयोध्या में भी देवकाली मां का भव्य स्थान है, जिन्हें पुरुषोत्तम श्रीराम की कुलदेवी होने का गौरव प्राप्त है। वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नवरात्र का अपना विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां देवकाली के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता। भगवान राम की आराध्य देवी बड़ी देवकाली अपने भक्तों की हर मुरादें पूरी करती हैं।
अयोध्या से करीब 5 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण फैजाबाद शहर में देवकाली माता का मन्दिर है। देवी भागवत में बड़ी देवकाली का वर्णन है, जिन्हें भगवान श्रीराम की कुलदेवी कहा गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां देवकाली मंदिर को भगवान श्रीरामचन्द्र के पूर्वज महाराज रघु ने बनवाया था। जनश्रुति के मुताबिक, जब श्री रामचन्द्र जी का जन्म हुआ था, उस समय राम की मां कौशल्या पूरे परिवार के साथ बड़ी देवकाली मां के दर्शन करने आई थीं। तभी से इस मंदिर से जुड़ी परंपरा चली आ रही है कि जब भी किसी के घर में बच्चा होता है तो उसे परिवार के साथ मां बड़ी देवकाली के दर्शन को लाया जाता है। मां के दर्शन के बाद ही बालक के मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
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तीन महाशक्तियों का संगम
बड़ी देवकाली का पूरा मन्दिर संगमरमर का बना हुआ है। गर्भगृह में माता की मूर्ति स्थापित है, जो तीन महाशक्तियों का संगम है। महालक्ष्मी, महाकाली एवं महासरस्वती की प्रतिमा तीनों एक साथ ही विराजित हैं, जो अपने आप में अद्भुत एवं अलौकिक दृश्य है। कहा जाता है कि ऐसी दिव्य प्रतिमा विश्व में कहीं और नहीं है। मन्दिर का गर्भगृह गोलाकार है और इसकी छत पर गुम्बद बना हुआ है, जिस पर माता का लाल ध्वज फहराता है। बड़ी देवकाली मन्दिर के अहाते के अन्दर एक बहुत बड़ा कुंड है, जो रमणीय एवं दर्शनीय है।
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पूरी होती हैं सभी मुरादें
मंदिर के बाहर मां शक्ति के वाहन दो सिंह विराजमान हैं। उनका मुंह देवी मां की तरफ है। मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि मां आदि शक्ति का वाहन सिंह शक्ति का प्रतीक और भय को समाप्त करने वाला है। उन्होंने कहा कि महाराज रघु की कुलदेवी व श्रीराम की आराध्य बड़ी देवकाली जी के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता, यहां मांगी गयीं सभी मुरादें पूरी होती हैं।
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पापों का प्रायश्चित करते हैं भक्त
वर्ष में पड़ने वाले दो नवरात्रों में मां बड़ी देवकाली जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि चैत्र रामनवमी के दिन प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। इसदिन भक्त अपने पापों के प्रायश्चित और पुण्य की प्राप्ति के लिए रघुकुल की कुलदेवी बड़ी देवकाली की आराधना करते हैं। नवरात्र में सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां बड़ी देवकाली की विशेष तरह से पूजा की जाती है। साल भर दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु नवरात में जरूर आते हैं और मां की पूजा अर्चना करते हैं।

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