सूफी संत टक्करी बाबा की मजार पर माथा टेकने से दूर होते हैं कष्ट, इंदिरा से लेकर मुलायम तक यहां लगा चुके हैं हाजिरी
तीन महाशक्तियों का संगम
बड़ी देवकाली का पूरा मन्दिर संगमरमर का बना हुआ है। गर्भगृह में माता की मूर्ति स्थापित है, जो तीन महाशक्तियों का संगम है। महालक्ष्मी, महाकाली एवं महासरस्वती की प्रतिमा तीनों एक साथ ही विराजित हैं, जो अपने आप में अद्भुत एवं अलौकिक दृश्य है। कहा जाता है कि ऐसी दिव्य प्रतिमा विश्व में कहीं और नहीं है। मन्दिर का गर्भगृह गोलाकार है और इसकी छत पर गुम्बद बना हुआ है, जिस पर माता का लाल ध्वज फहराता है। बड़ी देवकाली मन्दिर के अहाते के अन्दर एक बहुत बड़ा कुंड है, जो रमणीय एवं दर्शनीय है।
यूपी के इस अनोखे मंदिर में वर्षों से हर दिन हो रहा निर्माण कार्य, नहीं तो हो जाएगा विनाश
पूरी होती हैं सभी मुरादें
मंदिर के बाहर मां शक्ति के वाहन दो सिंह विराजमान हैं। उनका मुंह देवी मां की तरफ है। मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि मां आदि शक्ति का वाहन सिंह शक्ति का प्रतीक और भय को समाप्त करने वाला है। उन्होंने कहा कि महाराज रघु की कुलदेवी व श्रीराम की आराध्य बड़ी देवकाली जी के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता, यहां मांगी गयीं सभी मुरादें पूरी होती हैं।
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पापों का प्रायश्चित करते हैं भक्त
वर्ष में पड़ने वाले दो नवरात्रों में मां बड़ी देवकाली जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि चैत्र रामनवमी के दिन प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। इसदिन भक्त अपने पापों के प्रायश्चित और पुण्य की प्राप्ति के लिए रघुकुल की कुलदेवी बड़ी देवकाली की आराधना करते हैं। नवरात्र में सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां बड़ी देवकाली की विशेष तरह से पूजा की जाती है। साल भर दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु नवरात में जरूर आते हैं और मां की पूजा अर्चना करते हैं।