उनकी हैसियत केवल हां में हां मिलाने भर की होती है। भाजपा पिछड़ों दलितों को सिर्फ वोट बैंक समझती है और वोट के लिए ही पिछड़े दलित आदिवासी उसके लिए ***** हैं। जब हक अधिकार की बात आती है तो पिछड़ों दलितो को दर किनार कर दिया जाता है।
निषाद ने कहा कि पिछड़े वर्ग को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर भाजपा ने उमाश्री भारती व केशव प्रसाद मौर्या को आगे किया और जब मुख्यमंत्री बनाने की बारी आई तो इन्हें दर किनार कर कट्टर जातिवादी अजय कुमार सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्य नाथ को बना दिया। मण्डल कमीशन या ओबीसी के आरक्षण व सामाजिक न्याय की विरोधी भाजपा कभी पिछड़ों दलितों की हितैशी नहीं हो सकती। यह वही भाजपा है जिसने मण्डल कमीशन के विरोध में अयोध्या में राम मन्दिर बनाने का मुद्दा उछालकर आडवाणी को कमण्डल थमाकर रामरथ पर सवार कर दिया। वर्तमान में केन्द्र व प्रदेश की भाजपा सरकारों के द्वारा पिछड़े दलित वर्ग के आरक्षण को कुन्द किया जा रहा है। छद्म राष्ट्रवाद व हिन्दुत्व के भुलावे में आकर सामाजिक न्याय की विरोधी भाजपा को वोट देने वाले पिछडे दलित अब अपनी गलतियों पर पछता रहे हैं।
निषाद ने कहा कि महाराष्ट्र में कुर्मी जाति के बिनोद तावड़े या बंजारी जाति की पंकजा मुण्डे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रचार कर भाजपा ने पिछड़ों का वोट लिया और जब बहुमत मिल गया तो देवेन्द्र फडनवीस को बना दिया। हरियाणा में वीरेन्द्र सिंह जाट, राजकुमार सैनी या कृष्ण पाल सिंह गुजर को बनाने का प्रचार किया और मनोहर लाल खट्टर को बना दिया। भाजपा केवल वोट बैंक के लिए पिछड़ों दलितो का नाम आगे कर ***** बनाती आ रही है। भाजपा द्वारा आर.एस.एस. के इशारे पर संविधान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्वतंत्रदेव सिंह के अन्दर न तो वर्गीय चिंतन, वर्गीय संवेदना है और न ही जातीय स्वाभिमान। योगी सरकार द्वारा नियुक्तियों में पिछड़ों के साथ इतना बड़ा खेल हो रहा है परन्तु निज स्वार्थ में पिछड़े दलित वर्ग के मंत्री, सांसद, विधायक व नेता गूंगे बहरे बन चुप्पी साधे हुए हैं।