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हिंदुओं की पीड़ा सुनने की आवश्यकतासंत मौनी महाराज ने कहा कि हिंदू समाज की समस्याएं और पीड़ा सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अपना दरवाजा हमेशा खुला रखना चाहिए। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा: पूजा पद्धतियों और धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक है।
राष्ट्रद्रोहियों का बढ़ता प्रभाव: अगर न्यायालय हिंदुओं की आवाज नहीं सुनेगा, तो देश विरोधी ताकतें मजबूत होंगी।
संत समाज की भूमिका: संत समाज ने हमेशा सामाजिक और धार्मिक मुद्दों को सुलझाने में मदद की है।
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न्यायालय का महत्वसंत मौनी महाराज ने कहा कि हिंदू देवी-देवताओं और उनके उपासकों की रक्षा के लिए न्यायालय का सहयोग अनिवार्य है। उन्होंने न्यायपालिका से आग्रह किया कि वह हर नागरिक के लिए न्याय सुनिश्चित करे।
पीड़ा व्यक्त करने का माध्यम: सुप्रीम कोर्ट हिंदू समाज को अपनी समस्याओं को व्यक्त करने का मंच प्रदान करे।
संत समाज ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता और पूजा पद्धतियों को सुरक्षित रखने के लिए अपना सहयोग बनाए रखे।
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धार्मिक स्थलों की सुरक्षा: हिंदू देवी-देवताओं के धार्मिक स्थलों को संरक्षित करना सर्वोपरि है।मनोबल का प्रश्न: सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का असर पूरे समाज के मनोबल पर पड़ता है।
न्याय तक पहुंच: हर व्यक्ति को न्याय तक पहुंचने का अधिकार होना चाहिए।
संत मौनी महाराज ने कहा, “हम संत समाज की ओर से सुप्रीम कोर्ट से निवेदन करते हैं कि वह हिंदू देवी-देवताओं और धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए अपना दरवाजा हमेशा खुला रखे। यह सिर्फ हिंदू समाज के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए न्याय और समानता सुनिश्चित करने का प्रयास होगा।”