जमीयत उलेमा-ए-हिंद की अर्जी पर सुनवाई उत्तर प्रदेश में बीते दो जुम्मे को भड़की हिंसा के आरोपितों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। सरकार की इस कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सीधा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की अर्जी पर की न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ सुनवाई की। अभी तो सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि, सभी कार्रवाई कानूनी दायरे में होनी चाहिए।
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जुमे की नमाज के लिए यूपी सरकार सतर्क, संवेदनशील जिलों के लिए पीएसी व आरएएफ तैनात तोड़फोड़ की कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया से हो सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार कहाकि, कोई भी तोड़फोड़ की कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया से हो। ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि, यह बदले की कार्रवाई है। अब यह कितनी सही है, हमें नहीं मालूम। यह सभी रिपोर्ट्स सही भी हो सकती हैं और गलत भी। अगर इस तरह के विध्वंस किए जाते हैं तो कम से कम जो कुछ किया जा रहा है, वह कानून की प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए।
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UP Cabinet Meeting : यूपी कैबिनेट ने दी तबादला नीति 2022 को मंजूरी, 15 से 30 जून के बीच हो सकेंगे ट्रांसफर तीन दिन में जवाब दाखिल करें उत्तर प्रदेश सरकार कोर्ट की ओर से की गई इस टिप्पणी पर योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से वकील ने कहा] क्या अदालत प्रक्रिया का पालन करने वाले निर्देश जारी कर सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। आप तीन दिनों में जवाब दाखिल करें। आप सुनिश्चित करें कि इस दौरान कुछ भी अनहोनी न हो।
जमियत की ओर से जवाबदेही तय करने की मांग जमियत की ओर से वकील सीयू सिंह ने जवाबदेही तय करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोर्ट तुंरत कार्रवाई पर रोक लगाए। कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि, रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपेरशन एक्ट के मुताबिक बिना बिल्डिंग मालिक को अपनी बात रखने का मौका दिए कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है। इस पर जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि, नोटिस जरूरी होता है, हमें इसकी जानकारी है।