लखनऊ। सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने ड्यूटी के दौरान डेंगू से मौत के चपेट में आये गाजीपुर थाने के भूतनाथ चौकी इंचार्ज कृष्ण गोपाल वर्मा को मरणोपरांत 20 लाख रुपये देने की घोषणा तो कर दी लेकिन खुद यूपी पुलिस मरणोपरांत जवान का सम्मान करना भूल गयी।
जी हाँ दरोगा कृष्ण गोपाल वर्मा की मौत के बाद उनके शव को गोंडा जिले के इटिया थोप थाने क्षेत्र के बरगदही गाँव ले जाया गया। जहाँ पर न तो पुलिस विभाग का कोई आला अधिकारी मौके पर पहुंचा और न तो मृतक दरोगा को गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया।
क्योंकि कृष्ण गोपाल को ड्यूटी के दौरान डेंगू हुआ था। जिससे उनकी मौत हो गयी थी। इसलिए उनको गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया जाना था लेकिन यूपी पुलिस के आला अधिकारियों की बड़ी चूक हुई है। जिस पुलिस विभाग की छवि को बेहतर बनाने के लिए कृष्ण गोपाल दिन रात मेहनत करते थे, उसी पुलिस विभाग ने मरणोपरांत उनको सम्मान नहीं दिया।
इस बारे में आईपीएस अमिताभ ठाकुर का कहना है कि ड्यूटी के दौरान अगर कोई पुलिस कर्मी की मौत होती है तो उसे बाकायदा गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया जाता है।
कृष्ण गोपाल के अंतिम संस्कार में शामिल हुए उनके मित्र राहुल कुमार पांडेय ने बताया कि इस जांबाज दरोगा की मौत में पुलिस विभाग का कोई आला अधिकारी शामिल नहीं हुआ। बस पुलिस लाइन के कुछ साथी ही उनके अंतिम संस्कार में आये थे।
कल प्रदेश के पुलिस कर्मियों का होगा सम्मान
15 अगस्त को दिल्ली में पुलिस सेवा में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 150 पुलिसकर्मियों का सम्मान होगा। जिसमें यूपी के दो पुलिस अधिकारी शामिल है। भले ही दिल्ली में होने वाले इस सम्मान से यूपी पुलिस को गर्व है लेकिन कृष्ण गोपाल के मामले में यूपी पुलिस का जो रवैया है वह बेहद शर्मनाक है।
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