दरअसल, साल 1948 यानी आजादी के बाद से इसकी कहानी शुरू होती है। समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता उदय प्रताप सिंह ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में इसकी जानकारी दी है। उदय प्रताप सिंह के अनुसार, ‘लाल टोपी’ का चलन साल 1948 में कांग्रेस ने शुरू किया था। यानी समाजवादी पार्टी के सूत्रधार राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और जेबी कृपलानी उस समय कांग्रेस में ही थे। देश की आजादी के बाद भी ये लोग कांग्रेस के साथ ही थे, लेकिन साल 1948 में ये लोग कांग्रेस से नाराज हो गए। कारण था कि कांग्रेस ने गांधी जी की कॉटेज इंडस्ट्री की कल्पना को छोड़कर हैवी इंडस्ट्री का रास्ता पकड़ लिया।
जबकि जेपी, लोहिया और कृपलानी का मानना था कि चीन जापान जैसे देश कॉटेज इंडस्ट्री को अपनाकर ही आगे बढ़ रहे हैं। बकौल उदय प्रताप “पहले तो इन लोगों ने कांग्रेस के अंदर अपनी बात रखी। जब वहां इनकी बात नहीं मानी गई तो साल 1948 में अलग होकर सोशलिस्ट पार्टी बना ली। साल 1948 में ही जेपी रूस गए। लौटकर उन्होंने ‘लाल टोपी’ पहनना शुरू किया, क्योंकि दुनिया में जहां-जहां जैन क्रांति हुई है वहां लाल रंग का प्रयोग किया गया है। भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने भी लाल रंग का प्रयोग किया था। इसलिए यह ‘लाल टोपी’ समाजवादियों ने अपना ली। इसे सम्मान का प्रतीक माना जाने लगा।”
सपा के पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह ने मीडिया को बताया “गांधी जी का कहना था कि हमें आजादी के लिए आजादी नहीं चाहिए। बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आजादी चाहिए। जिसे गांधी जी ने व्यवस्था परिवर्तन कहा है, उसे ही लोहिया ने सामाजिक क्रांति का नाम दिया। उस वक्त लड़ाई व्यवस्था परिवर्तन की थी। जो सोशलिस्ट थे। वह इमरजेंसी में एक हो गए। बाद में समाजवादियों ने गांधी जी की विचारधारा अपना ली। जबकि कांग्रेस गांधी जी के विचारों से हट गई। हालांकि कांग्रेस से अलग होने के बाद सोशलिस्ट विचारधारा यानी समाजवादियों में बिखराव आ गया।
इसे महसूस करते हुए साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने एक पार्टी बनाई। इसमें कई लोग उनके साथ आ गए। जिनमें बद्री विशाल पित्ती और जनेश्वर मिश्रा की बड़ी भूमिका रही। इसके बाद अयोध्या में राम मंदिर विवाद से माहौल बिगड़ने का खतरा भांपते हुए 33 समाजवादियों के हस्ताक्षर वाला लखनऊ में ज्ञापन देकर अधिवेशन किया गया। इसमें सभी लोगों ने ‘लाल टोपी’ पहनी थी। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने सभी लोगों को हमेशा ‘लाल टोपी’ पहनने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद से समाजवादी पार्टी की ये पहचान बन गई।