यह भी पढ़े –
बाराबंकी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच पूरी, जानें किस शहर में कितने अवैध मदरसे मिले डेथ सर्टिफिकेट में कॉर्डियक अरेस्ट आई वजह उधर, परिजन सभी दवा लेकर घर आ गए। इसके बाद परिजन बीमार बच्चे को प्रशिक्षु पैरामेडिकल कर्मी के पास लेकर गए और उसे इंजेक्शन लगवा दिया। इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही बच्चे की हालत बिगड़ गई। इसके बाद परिजन बच्चे को गोमतीनगर के निजी अस्पताल ले गए, जहां बच्चे को भर्ती कर लिया गया। इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। अस्पताल से जो डेथ सर्टिफिकेट जारी हुआ, उसमें बच्चे की मौत कॉर्डियक अरेस्ट और झटके आने से बताई गई। जिसके बाद परिजनों ने बच्चे को गलत इंजेक्शन लगने की बात सीएमओ कार्यालय से की। जांच में पता चला कि क्लीनिक बिना पंजीकरण चल रहा था।
यह भी पढ़े –
AIMIM अध्यक्ष शौकत अली के बिगड़े बोल, कहा- हम इज्जत के साथ दो निकाह करते हैं लेकिन हिंदु तो… बिना पंजीकरण के चल रहे थे दोनों क्लीनिक क्लीनिक समिति के सदस्यों के मुताबिक, एमडी पीडियाट्रीशियन के दो जगहों पर क्लीनिक हैं। हुसैनगंज और हजरतगंज में क्लीनिक का संचालन किया जा रहा था। दोनों ही क्लीनिक का पंजीकरण नहीं किया गया था। जिसके बाद कमेटी ने डॉक्टर के पंजीकरण को एनएमसी को पत्र लिखने की सिफारिश की है। डॉक्टर के लिखे पर्चे को जांच समिति ने देखा तो सीरप का एस, एम्पुल के ए को पढ़ने में भ्रम हुआ था। मेडिकल स्टोर संचालक के मुताबिक एस और ए की लिखावट पढ़ने में दिक्कत हुई, इसलिए सीरप के बजाए एम्पुल (इंजेक्शन) बच्चे को लगा दिया गया। वहीं इंजेक्शन लगाने वाला फरार हो गया। वहीं कमेटी ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है।