30 जिलाध्यक्ष की घोषणा उत्तर प्रदेश में शिवसेना ने अपने पार्टी संगठन को मजबूत करते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र में सरकार गिरने के बाद शिवसेना अब भाजपा के साथ समझौता करना चाहती है और वह जानती है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का काफी दबदबा है। प्रदेश शिवसेना अध्यक्ष अनिल सिंह ने मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, फरुर्खाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, कासगंज, फिरोजाबाद, अमरोहा, बरेली, पीलीभीत, मिजार्पुर, अंबेडकर नगर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, गोंडा, कन्नौज, बहराइच, बस्ती, चंदौली, प्रतापगढ़, बाराबंकी, फतेहपुर, कौशांबी, बांदा, चित्रकूट, सोनभद्र, प्रयागराज और आगरा समेत 30 जिलों में जिलाध्यक्षों की घोषणा की है।
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– पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला गिरफ्तार प्रत्येक जिले का करेंगे दौरा – अनिल सिंह यूपी राज्य सेना प्रमुख अनिल सिंह ने कहा कि, वह व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक जिले का दौरा करेंगे और एक मजबूत संगठनात्मक संरचना सुनिश्चित करेंगे जो चुनाव लड़ सके। उन्होंने कहा कि शिवसेना इस साल के अंत में होने वाले शहरी नगरपालिका चुनाव भी लड़ेगी। सिंह ने कहा कि शिवसेना के शीर्ष नेता भी उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं को लामबंद करेंगे।
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– वाराणसी में पक्षी, विमान से टकराया दहशत में आए यात्री, रनवे से लौटी फ्लाइट यूपी में शिवसेना का हाल वैसे तो अगर यूपी में देखा जाए तो शिव सेना 1991 से यूपी चुनाव लड़ रही है। जब एक विधायक पवन कुमार पांडेय चुने गए थे। इसके साथ ही यूपी के विभिन्न नगर निकायों में भी कई बार शिवसैनिक चुने जा चुके हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। पर कोई भी प्रत्याशी अपनी जीत दर्ज नहीं करा सका। शिवसेना को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में नोटा से भी कम वोट मिले हैं। उत्तर प्रदेश में शिवसेना को 0.03 फीसदी मत हासिल हुए जबकि नोटा को 0.69 प्रतिशत वोट पड़े। वैसे तो यूपी में अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे कई मुद्दे हैं जो शिवसेना के हिंदुत्व एजेंडे में पूरी तरह फिट बैठते हैं। पार्टी इन मुद्दों को भुनाकर यूपी में अपने वोट को बढ़ा सकती है।