लखनऊ. यूपी कोआपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (पीसीएफ) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के चुनाव में शिवपाल यादव के पुत्र आदित्य य़ादव समेत 14 निदेशकों को निर्विरोध चुन लिया गया। इसके बाद उपाध्यक्ष व अन्य चुनाव ये 14 लोग ही करेंगे।
यादव परिवार में मची कलह के बीच आदित्य यादव मजबूती के साथ अपने पिता शिवपाल संग खड़े नजर आए हैं। यहां से माना जा रहा है कि उन्हें जल्द ही मंत्री पद का दर्जा मिल सकता है।
आठ महीने पहले ही भंग किया गया बोर्ड
वैसे पीसीएफ ही नहीं अन्य सहकारी संस्थाओं में भी समय से पहले नए बोर्डों के गठन की कवायद की जा रही है। समाजवादी पार्टी अपनी सरकार में ही सहकारी संस्थाओं के बोर्डों में नए सिरे से चुनाव करवाए दे रही है, जिससे सहकारी संस्थाओं में अगले पांच साल तक सपा का वर्चस्व रहे। उप्र कोआपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (पीसीएफ) बोर्ड के कार्यकाल को पूरा होने के आठ महीने पहले ही भंग कर नए बोर्ड का गठन किया गया है।
क्या है फेडरेशन
यूपी कोआपरेटिव फेडरेशन लि. की स्थापना 11 जून 1943 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य कृषको को बिचैलियों के शोषण से मुक्त कराते हुए उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना एवं उनको सहकारिता के आधार पर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना था। जनसाधारण के हितार्थ शासन की नीतियों के क्रियान्वयन मे भी पीसीएफ द्वारा अग्रणी भूमिका निभाई गई है। इन्हीं उद्देश्यो की प्राप्ति के लिए कृषकों को उर्वरक, बीज तथा अन्य कृषि निवेशों की आपूर्ति के लिए प्रान्त के प्रत्येक जिले में जिला कार्यालय एवं मण्डल में क्षेत्रीय कार्यालयो की स्थापना की गयी। जनसाधारण को सही मूल्य पर सामग्री उपलब्ध कराने एवं किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने के लिए प्राक्रियात्मक इकाइयों की भी स्थापना की गयी। वर्ष 1943 में केवल एक कार्यालय, 30 व्यक्तियों के कार्यदल एवं रू० 13 ,600 की प्रारम्भिक पूंजी से नीम की खली की खाद से व्यवसाय कार्य प्रारम्भ करते हुए वर्तमान में संघ के पास 2500 अधिकारी /कर्मचारी, एवं 69 .29 करोड़ की अंशपूंजी है एवं पीसीएफ का व्यवसाय वर्ष 2015-16 के अंतर्गत रू० 5221.85 करोड़ हो गया है।
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