सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा: “अपूरणीय क्षति”
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा, “प्रख्यात लोक गायिका, पद्म भूषण डॉ. शारदा सिन्हा जी का निधन अत्यंत दुःखद व संपूर्ण संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने उत्कृष्ट पारंपरिक गायन के माध्यम से मैथिली, भोजपुरी और अन्य लोक भाषाओं और लोक संस्कृति की सेवा की और राष्ट्रीय पटल पर सम्मान दिलाया।” उन्होंने कहा कि वह ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिजनों व प्रशंसकों को यह अथाह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
कौन थीं लोक गायिका शारदा सिन्हा?
शारदा सिन्हा, जिन्हें “बिहार कोकिला” के नाम से भी जाना जाता था, का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था। वे मैथिली, भोजपुरी, और मगही लोक गीतों की एक प्रमुख गायिका थीं, जिन्होंने अपने अनूठे गायन शैली से लोक संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी आवाज़ ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी प्रसिद्धि दिलाई। उन्होंने छठ गीत “काँच ही बाँस के बहँगिया” और अन्य पारंपरिक गीतों से लोगों के दिलों में विशेष जगह बनाई। उनकी गायन शैली में भारतीय परंपरा और संस्कृति की गहरी झलक मिलती थी। शारदा सिन्हा को संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2018 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था, जो भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
उनकी विरासत और संगीत यात्रा
शारदा सिन्हा ने अपने जीवन में कई पुरस्कार और सम्मान अर्जित किए, जिनमें पद्मश्री (1991) और पद्म भूषण (2018) प्रमुख हैं। उन्होंने कई प्रसिद्ध फिल्मी गीतों को भी अपनी आवाज़ दी। उनकी गायकी न केवल मनोरंजन का साधन थी, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की अभिव्यक्ति भी थी। वे त्योहारों के गीतों की एक समृद्ध परंपरा को सहेजने वाली एक जीवंत हस्ती थीं, जिनकी उपस्थिति ने हर त्योहार को और भी खास बना दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शोक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “शारदा सिन्हा जी ने अपने संगीत से लोक संगीत को नए आयाम दिए। उनकी मधुर आवाज़ और पारंपरिक गीत हमें सदैव याद रहेंगे। उनका निधन संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।”
संगीत जगत का नुकसान
शारदा सिन्हा का निधन न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि संपूर्ण संगीत प्रेमियों के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक और कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनकी स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने अपने गानों के माध्यम से जिस प्रेम और श्रद्धा का संचार किया, वह हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों में बसा रहेगा।
लोक संस्कृति की अमूल्य धरोहर
शारदा सिन्हा ने अपने संगीत से बिहार की लोक परंपरा को भारत के अन्य हिस्सों और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया। उनके योगदान से लोक संगीत को एक नई पहचान मिली और उन्होंने नई पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की। शारदा सिन्हा का निधन भारतीय लोक संगीत के लिए एक युग का अंत है, लेकिन उनकी मधुर आवाज़ और संगीत की धरोहर सदैव जीवित रहेगी।