उसके बाद पादप्रक्षालन, शास्त्र भेंट मंगल आरती और वस्त्र भेंट का क्रम चला। पाद प्राक्षालन में जैन अनुयायियों ने माताओं के पैर श्रद्धाभाव से धोये। मंगलाचरण की शुरुआत कविता गंगवाल और नीशू रॉवका ने ‘‘मन की वाणी से निकले ध्वनि मंगलम स्वागतम, स्वागत’’ गीत से की। उसके बाद संध्या जैन ने मधुर भजन सुनाये। भक्तों ने “जिन शासन में वर्षायोग की महिमा है साधु संत के चातुर्मास की गरिमा है” भजन का आनंद लिया। भाव नृत्य में अदिति छाबड़ा, यशस्वी काला, मिष्ठी रॉवका, परी रॉवका, भव्या काला ने भाग लिया।
उन्होंने ‘म्हारे आंगन आज आयी देखो मंगल घड़ी’ गीत पर मनभावन नृत्य कर प्रशंसा हासिल की। बाद में प्रवचन में जैन आर्यिका 105 विपुलमती माता ने भक्तों से कहा कि चातुर्मास लोगों को नियम संयम के साथ साथ प्रकृति के साथ ढलने का संदेश देता है। प्रकृति लोगों को जीयो और जीने दो का संदेश देती है। संयोजक गम्भीर चन्द्र छाबड़ा ने बताया कि पावन वर्षा योग के क्रम में चार महीने तक विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, प्रवचन होंगे।