यहां मदरसा बोर्ड भंग करने की शिफारिश
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड मदरसा बोर्ड को भंग करने की सिफारिश की है। आयोग ने पत्र में कहा है कि बच्चों के मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के बीच विरोधाभास पैदा किया जा रहा है। कहा कि केवल धार्मिक संस्थानों में जाने वाले बच्चों को आरटीई अधिनियम के तहत औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर रखा गया है, जबकि अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करते हैं। ये भी पढ़ें:-
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राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने पत्र में कहा है कि केवल बोर्ड का गठन या यूडीआईएसई कोड लेने का मतलब यह नहीं कि मदरसे आरटीई अधिनियम का पालन कर रहे हैं। लिहाजा यह सिफारिश की गई कि मदरसों और मदरसा बोर्ड को राज्य की ओर से मिल रहा वित्त पोषण बंद कर मदरसा बोर्ड भंग कर देना चाहिए। सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकाल स्कूलों में भर्ती कराया जाय। मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसों में पढ़ रहे, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त, उन्हें औपचारिक स्कूलों में भेजें।