आदित्य उर्फ अब्दुल्ला के घर पहुंच कर एटीएस समेत राज्य मुख्यालय की दो टीमों ने पूछताछ की। साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट महिला के जरिए एटीएस ने आदित्य से लंबी बातचीत की। इसमें पता चला कि इंस्टाग्राम पर कई धार्मिक वीडियो भेज कर आदित्य को इस्लाम में धर्म बदलने के लिए उकसाया गया। यह सब इस तरह से होता था कि कोई भी मोटिवेट हो गए। आदित्य ने पुलिस को बताया कि एक साल पहले बिठूर के ज्योति बधिर विद्यालय में प्रशिक्षण देने आए शिक्षक ने उसे धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया था। साथ ही चमनगंज निवासी मोहम्मद वासिफ ने मैसेंजर और टेलीग्राम के जरिए उससे संपर्क किया। आदित्य को नौकरी और शादी का झांसा देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया गया। उसे आदित्य से अब्दुल बनाया गया।
धर्म परिवर्तन का सर्टिफिकेट भी होता है जारी धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने के बाद कलमा पढ़वाया जाता है। आदित्य ने एटीएस टीम को बताया कि उसे धर्मांतरण का सर्टिफिकेट भी सौंपा गया। साथ ही उसे अपने जैसे कई लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने का टारगेट दिया गया। धर्मांतरण के बदले ऐसे लोगों को नौकरी दी जाती है। कुछ की शादी भी करा दी जाती है। आदित्य का धर्म परिवर्तन कराने के बाद उसे केरल में नौकरी दिलाई गई। वहां पर उसे अपनी तरह के दिल्ली, हरियाणा, अलीगढ़ समेत अन्य जगहों से आए युवक मिले। आदित्य को मूक बधिर बच्चों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने का टारगेट भी दिया गया था। आदित्य ने बताया कि धर्मांतरण के लिए चमनगंज के हलीम कालेज में उन्हें प्रत्येक रविवार शिक्षा दी जाती थी। अलीगढ़ में एक अन्य युवक को धर्मांतरण के लिए तैयार किया जा रहा है। इस पर एटीएस ने अलीगढ़ पुलिस से संपर्क साधा है।
एटीएस अधिकारी आंशका जता रहे हैं कि कहीं मूकबधिर बच्चों को ट्रेनिंग दिला किसी विशेष आतंकी टूल की तरह तो इस्तेमाल करने की तैयारी नहीं थी। एटीएस ने आदित्य के घर में मिलीं किताबें और मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया है। एटीएस की पूछताछ में आदित्य ने बताया कि अलीगढ़ के एक युवक के भी धर्मांतरण की तैयारी की जा रही है।
विदेशी एनजीओ से मिलती है मदद इस्लामिक दावा केंद्र में हर महीने औसतन 15 लोगों का धर्मांतरण डॉक्यूमेंट जारी किया जाता है। धर्मांतरण रैकेट में शामिल लोगों का गिरोह विदेश में भी फैला है। सेंटर में इंग्लैंड, पोलैंड, सिंगापुर तक में धर्मांतरण का काम होता है। पुलिस को शक है कि इस्लामिक दावा सेंटर अमेरिका, कुवैत, दुुबई आदि में स्थित गैर सरकारी संगठनों से विदेशी चंदा मिलता है। फातिमा चैरिटेबल फाउंडेशन (दिल्ली), अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन (लखनऊ), मेवात ट्रस्ट फॉर एजुकेशनल वेलफेयर (फरीदाबाद), मरकजुल मारीफ (मुंबई) और ह्यूमन सॉलिडेरिटी फाउंडेशन सहित कई भारत-आधारित एफसीआरए पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से फंड को आईडीसी को दिया जाता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अनुवादक के रूप में काम करने वाले इरफान शेख भी धर्मांतरण रैकेट में शामिल हैं। वह आईडीसी को ज़रूरतमंद मूक-बधिर युवाओं और महिलाओं की पहचान करने में मदद करता है। धर्मांतरण के मुख्य आरोपी उमर गौतम के ग्लोबल पीस सेंटर, दिल्ली के साथ घनिष्ठ संबंध होने की बात भी सामने आई है, जो मौलाना कलीम सिद्दीकी द्वारा संचालित है।