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लखनऊ

Rajnath Singh birthday special: वह सख्त फैसले जिसने राजनाथ सिंह का बढ़ाया राजनीति में कद

लखनऊ से सांसद व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह अब देश की रक्षा की कमान संभाले हुए हैं।

लखनऊJul 09, 2019 / 09:34 pm

Abhishek Gupta

Rajnath Singh

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लखनऊ. देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) 10 जुलाई को अपना 68वां जन्मदिन मनाएंगे। लखनऊ से सांसद व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह अब देश की रक्षा की कमान संभाले हुए हैं। इसे उनकी बेहतरीन कार्यशैली व साहसी फैसलों का नतीजा ही कहेंगे कि वे आज इस मुकाम पर हैं। यूपी की राजनीति में राजनाथ सिंह का बड़ा प्रभाव रहा है। उनकी सज्जनता व सरल स्वभाव के राजनेता क्या आम जनता भी कायल है। विपक्ष भी उनका मुरीद है। वहीं राजनाथ सिंह ने कई ऐसे फैसले लिए जो यूपी को राजनीति में मील का पत्थर साबित हुए। आज हम उनके कुछ साहसिक निर्णयों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिनकी चर्चा लगातार होती रहती है।
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1. बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) को दिया था झटका-

कल्याण सिंह (Kalyan Singh) के नेतृत्व में यूपी में भाजपा और बसपा की गठबंधन की सरकार बनी थी। लेकिन कुछ ही समय बाद बसपा (BSP) ने भाजपा से समर्थन वापस ले लिया था। इस बीच सरकार गिरने की कगार पर थी, लेकिन राजनाथ सिंह ने ऐसा होने नहीं दिया। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और राजनीतिक कौशल का परिचय दिया और बसपा के 20 व कांग्रेस के भी करीब इतने ही विधायकों को अपने पाले में ले लिया। उन्‍होंने अधिकतर बसपा व कांग्रेस के क्षत्रिय नेताओं को तोड़ा था। जिसके बाद यूपी में भाजपा की सरकार गिरने से बच गई। इस घटना के बाद राजनाथ सिंह का राजनीतिक कद और बढ़ गया।
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2. सरकार में रहकर सरकार की बुराई करने वाले को किया मंत्रीपरिषद से बाहर-

सन् 2000 में जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने, तो सरकार को सहयोग देने वाले कुछ राजनीतिक दल अपनी मौजूदगी को महत्व देते व अपना ही हित आगे रखते। इनमें से एक थे लोकतांत्रिक कांग्रेस के नेता नरेश अग्रवाल (Naresh Agarwal) जो समय-समय पर सरकार से गठबंधन खींचकर सरकार गिराने की धमकी देते थे। कल्याण सिंह से लेकर रामप्रकाश गुप्त उनके इस रवैये से बहुत नाराज थे। जैसा कि हाल में ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) का रवैया था। नरेश अग्रवाल का परिणाम भी कुछ राजभर की तरह ही था। उस दौरान ऊर्जा विभाग में मनमानी की ख़बरें खूब चर्चा में रहती थीं। और नरेश अग्रवाल इसको लेकर सरकार पर खूब निशाना साधते थे, लेकिन गठबंधन के कारण उन पर कार्यवाई करना मुश्किल था। आला कमान ने कई बार नरेश अग्रवाल के साथ मीटिंग की, उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने। नरेश यहां तक मुख्यमंत्री को भी दोषी ठहराना लगे थे। फिर वह दिन आया जब सब्र का बांध टूट चुका था और राजनाथ सिंह ने बड़ा फैसला लिया। हरिद्वार में नरेश अग्रवाल ने पार्टी सम्मेलन में भाजपा के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आने की चेतावनी दे डाली। बस यही पर राजनाथ सिंह ने तत्काल नरेश अग्रवाल को मंत्रिपरिषद् से बर्खास्त कर दिया । जिसकी जानकारी उन्होंने खुद नरेश अग्रवाल को फोन कर दी। इस कठोर निर्णय के बाद राजनाथ प्रदेश की जनता के हीरो बन गए।
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3. खुद की सरकार में राज्यमंत्री को कराया था गिरफ्तार-

उसी दौरान मुख्यमंत्री रहते राजनाथ सिंह ने अपनी ही सरकार के राज्‍यमंत्री अमरमणि त्रिपाठी को न सिर्फ मंत्री पद छीना, बल्कि उन्‍हें गिरफ्तार भी करवा दिया। दरअसल पूर्वांचल में एक बड़े व्‍यापारी के 16 साल के बेटे राहुल मधेशिया का अपहरण हुआ था। अपहरणकर्ता उसे नेपाल ले जाने की तैयारी में थे, तभी पुलिस ने अमरमणि के लखनऊ में कैंट रोड पर स्थित निवास पर छापा मारा और राहुल को छुड़़ा लिया। पुलिस ने इस संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया। राज्‍यमंत्री के घर से अपहृत बच्‍चा बनाने की खबर ने भाजपा सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया। आखिरकार राजनाथ सिंह ने कड़ा निर्णय लेते हुए अमरमणि से मंत्री पद छीन लिया और बाद में इसी मामले में अमरमणि की गिरफ्तारी भी करवाई थी।
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4. वहीं सीएम रहते हुए राजनाथ सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान अति पिछड़े वर्ग को आरक्षण में आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया। इस ऐलान के विरोध में तत्‍कालीन पर्यटन मंत्री अशोक यादव अदालत चले गए थे। उनके इस फैसले पर आखिरकार राजनाथ सिंह ने जवाब दिया और उनसे मंत्री पद छीन लिया गया।

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