थर्ड एसी इकोनॉमी कोचों पर रहा फोकस
हाल के वर्षों में रेलवे ने थर्ड एसी और थर्ड एसी इकोनॉमी कोचों को बढ़ावा दिया है, जिससे कम किराए में एसी में यात्रा करने की सुविधा मिल सके। इसके चलते जनरल और स्लीपर कोचों की संख्या में कमी आई थी, जिससे आम यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था।
लालगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन की समस्याएं
लालगढ़ से डिब्रूगढ़ जाने वाली अवध असम एक्सप्रेस के जनरल कोचों में इतनी भीड़ हो जाती है कि यात्रियों को शौचालय में तक बैठना पड़ता है। लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनों में जनरल कोचों की कमी से यात्रियों को भारी परेशानी होती है।
नॉन-एसी कोचों का उत्पादन
रेलवे बोर्ड ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए जनरल और स्लीपर कोचों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। अगले दो वर्षों में 5300 जनरल कोचों सहित दस हजार नॉन-एसी कोचों का उत्पादन किया जाएगा। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के दौरान यह कोच तैयार किए जाएंगे।
आम यात्रियों को राहत
रेलवे की इस योजना के तहत 2024-25 में 2605 जनरल कोच, 1470 नॉन एसी स्लीपर कोच, 323 एसएलआर कोच, 32 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 55 पेंट्रीकार बनाए जाएंगे। इन कोचों के ट्रेनों में लगने के बाद आम यात्रियों को यात्रा के दौरान काफी राहत मिलेगी। रेलवे की इस पहल से उम्मीद है कि लंबी दूरी की ट्रेनों में आम यात्रियों को धक्का-मुक्की से निजात मिलेगी और वे अधिक आरामदायक यात्रा कर सकेंगे।