दीवाली के 11 दिन बाद इगास पर्व
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बग्वाल या इगास दीवाली के ठीक 11 दिन बाद मनाने की परंपरा है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की सूचना पहाड़ों में 11 दिन बाद पहुंची थी। इसलिए लोग दीपावली के 11 दिन बाद इगास मनाते हैं। इगास में भैलो खेलने की परंपरा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने पर लोगों ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। श्रीराम के लौटने की सूचना दीवाली के 11 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी। ये भी पढ़ें:-
बड़ा फैसला:टैक्स फ्री होंगी हाइब्रिड गाड़ियां, लोगों की होगी लाखों की बचत बूढ़ी दीवाली का है विशेष महत्व
उत्तराखंड में इगास यानी बूढ़ी दीवाली पर्व का विशेष महत्व है। इगास पर्व राज्य में बूढ़ी दीवाली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दीवाली की तरह ही आतिशबाजी और घरों में दीप प्रज्ज्वल किया जाता है। घरों में तमाम पकवान बनाए जाते हैं। इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश पिछले कुछ सालों से ही घोषित हुआ है। पूर्व में इगास पर राज्य में अवकाश नहीं रहता था। अब सरकारी छुट्टी के चलते लोग इगास पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।