प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी कानपुर (पीएसआइटी) के फार्मेसी विभाग द्वारा शोध कर हर्बल दवा तैयार की गई है। फार्मेसी विभाग की अध्यक्ष डा. अंकिता वाल ने बताया कि अमूमन सिरदर्द या माइग्रेन की समस्या होने पर लोग एलोपैथिक दवाएं लेते हैं। इन दवाओं से आराम भले ही मिल जाए, लेकिन इससे शरीर पर साइड इफेक्ट भी होने का डर रहता है। ज्यादा सेवन से दस्त, पेट व आंत संबंधी बीमारियां, अल्सर या श्वांस संबंधी समस्याएं होने का खतरा रहता है। यही नहीं, लंबे समय तक इस्तेमाल से लिवर और किडनी भी खराब होने का डर रहता है। इसी समस्या को ध्यान में रखकर जड़ी बूटियों से हर्बल पेन किलर बनाई गई है। इसमें गिलोय, अश्वगंधा, नागरमोठा, लटजीरा व विलो की छाल का इस्तेमाल किया गया है। परीक्षण के बाद संस्थान ने इस दवा को पेटेंट कराया है।
ऐसे हुआ दवा का ट्रायल डॉ अंकिता बताती हैं कि हर्बल दवा का टीम ने पूरी तरह परीक्षण कर लिया है। परीक्षण में 22 खरगोश और 48 चूहों में मानव की तरह सिरदर्द के लक्षण पैदा किए गए। उनके शरीर पर आकलन के बाद दवा इंजेक्ट की गई और फिर 15 मिनट बाद उसका परिणाम देखा गया। दवा के सकारात्मक परिणाम सामने आए। बता दें कमेटी आफ दि परपज आफ कंट्रोल एंड सुपरविजन आफ एक्सपेरीमेंट्स आफ एनिमल की इजाजत से परीक्षण हुआ।
अन्य दवाओं से कम आई लागत डा. अंकिता बताती हैं कि जड़ी-बूटियों को जुटाकर उनमें मौजूद विभिन्न तत्वों को निकालकर दवा बनाने में अन्य दवाओं की अपेक्षा काफी कम लागत आई है। करीब तीन से चार सौ रुपये में एक हजार टेबलेट बनाई गई हैं। जिनका परीक्षण सफल रहा है। दवा बनाने में निदेशक डा. एके राय, डीन फार्मेसी डा. प्रणय वाल, एसोसिएट प्रोफेसर डा. आशीष श्रीवास्तव, शोधार्थी सोमेश शुक्ला का भी सहयोग रहा।
क्यों होता है सिर दर्द अक्सर लोगों को ज्यादा जगने या भीड़-भाड़ वाले स्थान में रहने पर सिर दर्द होने लगता है। इसपर डा. अंकिता ने बताया कि लोगों में सिर दर्द के अलग अलग लक्षण होते हैं। सिर दर्द का प्रमुख कारण शरीर में प्रोस्टाग्लैंडिन हार्मोंस के कारण साइक्लो आक्सीजिनेस की मात्रा बढ़ने से होता है। लगातार गंभीर सिरदर्द बना रहता है तो वह माइग्रेन बन जाता है। बाजार में मिल रही दवाओं में एसिटिल सैलिसिलिक एसिड होता है, जो साइक्लो आक्सीजिनेस का असर कम करके सिरदर्द को कम करती है। लेकिन इससे शरीर पर अलग प्रभाव पड़ता है।