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लखनऊ

प्रियंका ने किया भाजपा सरकार से सवाल, कहा क्या इस धोखेबाजी का है कोई जवाब?

अनुदेशकों का मानदेय घटाने पर Priyanka Gandhi ने किया भाजपा सरकार से सवाल
– भाजपा सरकार अनुदेशकों के ऊपर कर रही अत्याचार

लखनऊJul 01, 2019 / 01:43 pm

Karishma Lalwani

yogi adityanath and priyanka gandhi

प्रियंका ने किया भाजपा सरकार से सवाल, कहा क्या इस धोखेबाजी का है कोई जवाब?

लखनऊ. कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने अनुदेशकों के मानदेय के मुद्दे पर योगी सरकार पर वार किया है। प्रियंका का कहना है कि यूपी की भाजपा सरकार अनुदेशकों के ऊपर अत्याचार कर रही है। 17,000 रुपए प्रतिमाह वेतनमान का वादा पूरा करना तो दूर अब उनके 8,470 रुपये मानदेय में से भी कटौती की जा रही है। प्रियंका ने सवाल किया कि क्या उप्र सरकार के पास इस धोखेबाजी का कोई जवाब है?
अप्रैल और मई के लिए जारी मानदेय

बता दें कि योगी सरकार ने सरकारी स्कूलों में तैनात 30 हजार शिक्षकों का मानदेय 8,470 रुपये से घटाकर 7000 रुपये करने का फैसला किया है। बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने 7,000 रुपये का मानदेय अप्रैल और मई माह के लिए जारी किया है।
पूर्वी यूपी का प्रभार संभालने के बाद प्रिंयका ने मार्च में लखनऊ में बैठकें की थीं। उस दौरान उन्होंने अनुदेशकों, आशा कर्मियों, रोजगार सेवकों, आदि से मुलाकात की थी। उस वक्त भी प्रियंका ने अनुदेशकों का मानदेय बढ़ाने की अपील योगी सरकार से की थी।
नीति के अनुसार घटा मानदेय

अनुदेशकों का मानदेय केंद्र सरकार की नीति के अनुसार घटा है। नीति के मुताबिक अंशकालिक शिक्षकों का वेतन 7000 रुपये होना चाहिए। समग्र शिक्षा अभियान में शिक्षकों और प्रधानाचार्य का वेतन कम कर दिया गया है। यूपी सरकार ने अनुदेशकों का वेतन कम करते हुए पैसा जारी किया है।
नहीं मिला बढ़ा हुआ मानदेय

2014 में प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में अनुदेशकों की नियुक्त संविदा पर हुई थी। यह नियुक्ति शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हुई थी। इन अनुदेशकों की तैनाती वहां हुई थी, जहां छात्र संख्या 100 से ज्यादा थी। इस दौरान इन्हें 7000 रुपये पर तैनाती दी गई थी। 2016 में इसे बढ़ाकर 8470 कर दिया गया था। वहीं 2017 में अनुदेशकों का मानदेय 17 हजार रुपये और शिक्षकों का मानदेय 10 हजार रुपये करने का फैसला केंद्रीय एप्रुवल बोर्ड ने किया था। लेकिन अनुदेशकों और शिक्षामित्रों को बढ़ा हुआ मानदेय कभी नहीं मिला।

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