लखनऊ. राजधानी के गोसाईगंज स्थित जिला कारागार में फिर एक बंदी ने फांसी लगा ली। बंदी को काकोरी पुलिस ने अपहरण के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस घटना से एक बार फिर जेल प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है। सूत्रों के मुताबिक कैदी ने जेल प्रशासन की प्रताडऩा से तंग आकर फांसी लगा ली। जेल में कैदी को प्रताड़ित किया जा रहा था इसके चलते उसने अपनी जान दे दी। हलाकि जेल में कैदियों के जान देने का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई कैदी अपनी जान दे चुके हैं। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे जेल प्रशासन व स्थानीय पुलिस घटना स्थल का मौका मुआयना किया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। फिलहाल गोसाईगंज पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जानकारी के अनुसार बाराबंकी निवासी कन्हई (41)पिछली 29 दिसंबर 2015 से आदर्श कारागार गोसाईगंज में सर्किल नंबर-7, हाता-नंबर-2 व बैरक 44 में बंद था। वह बगियामऊ गोसाईगंज निवासी शिवम के अपहरण के मामले में सजा काट रहा था। रविवार की दोपहर करीब 3 बजे खिड़की से डोरी गले में बांध कर फांसी पर लटक गया। फांसी की खबर मिलते ही जेल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। आनन-फानन में पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। साथ ही उसके परिजनों को फांसी लगाने की सूचना दी। परिजनों ने जेल प्रशासन पर तंग किए जाने का आरोप लगाया है, जबकि जेल प्रशासन का कहना है कि कैदी काफी समय से मानसिक रूप से परेशान चल रहा था।
इससे पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
-22 जून 2011 को डॉ. योगेंद्र सचान की संदिग्ध मौत हो गई थी।
-8 अगस्त 2013 को बंदी राजकुमार फंदे से शव लटकता मिला था।
-28 दिसम्बर 2014 को बंदी रियाज ले रोशनदार से लगाई फांसी लगाकर जान दे दी थी।
-3 मई 2015 को बंदी नन्हकऊ का शव दरवाजे के उपर लगी ग्रिल व शाल के सहारे लटकता मिला था।
-29 अगस्त 2016 को काकोरी के काजीखेड़ा निवासी सरवन (30) ने कारागार के सेल नंबर 10 में फांसी लगाकर जान दे दी थी।
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