30 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ नौ मेडिकल कालेजों का लोकार्पण करने वाले थे। लेकिन, फैकल्टी पूरा न होने पर एमसीआई ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस बीच सरकार ने इन कालेजों के नाम घोषित कर दिए।
एक मेडिकल कालेज का नामकरण बीजेपी के पहले प्रदेश अध्यक्ष तो एक का नाम अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल के नाम पर है। जबकि, इससे संबंद्ध अस्पताल का नाम प्रताप बहादुर सिंह अस्पताल रखा गया है। विरोध करने वालों का कहना है जिनके नाम पर कालेज का नामकरण हुआ है उनका चिकित्सा के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं है। यूपी के ख्यातनाम चिकित्साविदों के नाम पर मेडिकल कालेजों का नाम होना चाहिए था।
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किसके नाम कौन मेडिकल कालेज
1.सिद्धार्थनगर-माधव प्रसाद त्रिपाठी, पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, ब्राह्मण वोट बैंक को जोडऩे की रणनीति
2.प्रतापगढ़-सोनेलाल पटेल-अपना दल के संस्थापक
3.मिर्जापुर-मां विंध्यवासिनी, शक्ति पीठ, लाखों की आस्था का केंद्र
4.देवरिया-महर्षि देवरहा बाबा, प्रसिद्ध संत, लाखों अनुयायी
5.गाजीपुर. महर्षि विश्वामित्र, प्रसिद्ध ऋषि, ब्राह्मणों को खुश करने की कवायद
6.एटा-वीरांगना अवंती बाई लोधी, पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी- लोध जातियों को खुश करने के लिए
7. हरदोई- पंकज कुमार पांडे-शहीद मेजर, ब्राह्मणों को खुश करने के लिए
8. जौनपुर- अभी नाम तय नहीं
9. फतेहपुर- अभी नाम तय नहीं
छह सितंबर 2002 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज को उच्चीकृत करते हुए उसका नाम छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय कर दिया था। लेकिन, 23 जुलाई 2012 को अखिलेश यादव ने माया के फैसले को पलटते उहुए फिर से किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी कर दिया था।
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क्या कहते नेता, मंत्री
प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज का नाम वहां के किसी ब्राम्हण समाज के व्यक्ति पर होना चाहिए। चाहे वह करपात्री जी महाराज हों या फिर शिक्षाविद मुनीश्वर दत्त उपाध्याय। -उमेश द्विवेदी, शिक्षक एमएलसी, भाजपा
अब तक इस सरकार ने स्वास्थ्य में कोई काम नहीं किया है। ये केवल नाम रखकर ये दिखाना चाहते हैं कि सभी समाज के हितैषी हैं। -सुनील सिंह साजन,सपा प्रवक्ता