यूपी में कांग्रेस के आखिरी गढ़ और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली (Raebareli) में 33 पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। यहां उसे 12 सीटों पर सफलता मिली है। पार्टी यहां निर्दलीयों और सपा के सहयोग से अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने का दावा कर रही है। पंचायत चुनावों की घोषणा के समय से ही कांग्रेसियों ने रायबरेली में गोटे बिछानी शुरू कर दिया था। इसी क्रम में कांग्रेस से सदर विधायक अदिति सिंह के चचेरे भाई मनीष सिंह की पत्नी आरती सिंह को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया गया। अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का पूरा फोकस रायबरेली में कांग्रेस का जिलाध्यक्ष बनवाने पर है। हालांकि, कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह की मां वैशाली सिंह और छोटी बहन देवांशी सिंह भी पंचायत चुनाव में बीडीसी के लिए निर्विरोध चुनी गई हैं। माना जा रहा है कि मां-बेटी में से कोई एक ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ेगा।
यूपी में कांग्रेस के आखिरी गढ़ को बचाने में जुटी प्रियंका, अमेठी की बची खुची उम्मीदें भी धूमिल
आजमगढ़ : सपा ने जीतीं सबसे ज्यादा सीटें, अध्यक्ष पद चुनौती
आजमगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर पिछले एक दशक से काबिज सपा प्रमुख अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ (Azamgarh) में इस बार बड़ा झटका लगा है। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में सपा भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन, वह बहुमत से काफी दूर है। ऐसे में अखिलेश यादव को अपना जिला अध्यक्ष बनवा पाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। हालांकि, बसपा और भाजपा भी यहां कोई करिश्मा नहीं कर सकी हैं। छोटे दल निर्दलीय जिसके साथ जाएंगे वही अपना अध्यक्ष बनवा सकेगा। जिले में जिला पंचायत सदस्य की 84 सीटों से भाजपा के खाते में सिर्फ 12 सीटें आई हैं। सपा ने 25 और बसपा ने 14 सीटों पर जीत हासिल की है। एआईएमआईएम को 01, कांग्रेस को 01, उलेमा कौंसिल को 01, अपना दल को 01, आम आदमी पार्टी को 01 और सुभासपा को 01 सीट मिली है। जबकि, 27 सीटों पर निर्दल उम्मीदवारों को सफलता मिली है।
आजमगढ़ में सपा ने जीतीं सबसे ज्यादा सीटें, लेकिन अध्यक्ष बनवाना अखिलेश के लिए बड़ी चुनौती
प्रतापगढ़ : कड़े मुकाबले में सपा से पिछड़े राजा भैया
पंचायत चुनावों में इस बार प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में न राजा की चली न रजवाड़ों की। पुराने दिग्गजों की राजनीतिक चालें भी धरी रह गयीं। बड़ी संख्या में निर्दल जीते हैं। जिला पंचायत सदस्यों की 57 सीटों में से 18 पर आजाद उम्मीदवार जीते हैं। पूर्व सांसद और कालाकांकर रियासत की वारिश राजकुमारी रत्ना सिंह की पुत्री जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गयी हैं। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी भी सिर्फ 5 सदस्यों को ही जिता पाए हैं। प्रतापगढ़ की राजनीति के पर्याय माने जाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजाभैया की पार्टी जनसत्ता दल को भी सिर्फ 10 सीटें ही मिली हैं। 15 सीटें जीतकर सपा नंबर एक पार्टी बनकर उभरी है। जबकि, 18 सीटें निर्दलीयों के खाते में गयी हैं। सत्ता में होने के बावजूद भाजपा कुल 5 सीटों पर ही सिमट कर रह गयी है। जबकि, बसपा सिर्फ एक सीट ही जीत पायी है। अब जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष की कुर्सी के लिए मुख्य मुकाबला सपा और जनसत्ता दल के बीच ही होगा, जिसमें सबसे अहम भूमिका निर्दलीयों की रहेगी।
पूरी ताकत झोंककर सपा से पीछे रह गयी जनसत्ता दल, अध्यक्ष बनवाने के लिए निर्दलीयों के भरोसे राजा भैया
जौनपुर : मजबूत होगी बाहुबली धनंजय सिंह की सियासी जमीन
जौनपुर (Jaunpur) के वार्ड नंबर 45 से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह ने ऐतिहासिक मतों से जीत हासिल की है। इस वार्ड से चुनाव लड़ रहीं भाजपा प्रत्याशी उषा सिंह की तो जमानत भी जब्त हो गई। ऐसा नहीं है कि इस जीत का सेहरा सिर्फ श्रीकला के सिर बंधेगा बल्कि इसमें उनके पति पूर्व सांसद धनंजय सिंह का अहम रोल है। यहां जो भी वोटर हैं, अधिकतर धनंजय सिंह के समर्थक हैं। अब अगर श्रीकला सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बन जाती हैं तो कहीं न कहीं धनंजय सिंह की राजनीतिक पकड़ मजबूत होगी। मल्हनी उपचुनाव में निर्दल चुनाव लड़ने के बाद भी दूसरे नंबर पर रहते हुए करीब 70000 वोट अपने पक्ष में लाकर धनंजय सिंह ने साबित कर दिया था कि वह अब भी उसी क्षेत्र के राजनीतिक धुरंधर हैं। इसी बलबूते उन्होंने पत्नी श्रीकला सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने के लिए सदस्य का चुनाव लड़ाया था।
श्रीकला की जीत से मजबूत होगी बाहुबली धनंजय सिंह की सियासी जमीन, भाजपा कैंडिडेट की जमानत जब्त
सुलतानपुर : मेनका और स्वतंत्र देव की कैंपेनिंग नहीं आई काम
सुलतानपुर (Sultanpur) में पंचायत चुनाव के नतीजों ने भाजपाइयों के पैरों तले से जमीन खिसका दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी का जादू भी मतदाताओं के सिर नहीं चढ़ा, उन्होंने 6 दिन प्रत्याशियों के पक्ष में कैंपेनिंग की थी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी दिन जिले में रहकर बीजेपी को जिताने की अपील की थी। 45 सीटों वाले जिला पंचायत सदस्यों में से सिर्फ 03 सीटों पर ही भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई। सबसे ज्यादा 21 निर्दल जीते। समाजवादी पार्टी को 8, बसपा को 4, बीजेपी, कांग्रेस और निषाद पार्टी 3-3 सीटों पर जीतने में कामयाब रही। एआईएमआईएम को 2 और आम आदमी पार्टी को भी एक सीट मिली। सुलतानुपर में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्दलीय होगा या फिर किसी दल का? इसको लेकर राजनीतिक दलों ने जोड़-घटाना शुरू कर दिया है।