इस बारे में ओर्थोस्कोपी एवं स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉ राजीव गुप्ता का कहना है कि शुरुआती अवस्था में ही विशेषज्ञ से दर्द के कारण का रूल आउट करवा लेना चाहिए। इससे एक तो इलाज बेहतर होता है, दूसरा दर्द निवारक दवाओं का भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों से भी बचाव होता है।
डॉ राजीव का कहना है कि कंधे के दर्द और गर्दन के दर्द में फर्क होता है जिसे एक विशेषज्ञ डॉक्टर ही जांच कर पता लगा सकता है। कंधे के दर्द का मुख्य कारण रोटेटर कफ होता है। यह चार मांसपेशियों से मिलकर बना होता है, जो कंधे की हड्डी को कवर करके रखता है। इसका कार्य हाथ को कंधे तक उठाने में मदद करना और कंधे के जोड़ को मजबूती देना है। किन्हीं कारणों से यह रोटेटर कफ फट जाता है जैसे गिरना, दैनिक दिनचर्या में व इसके क्षय होने से यह फटता है। कंधे की हड्डी के बढऩे से भी यह फट सकता है। इसलिए कंधे के दर्द का कारण का सटीक पता लगवाकर ही इलाज लेना चाहिए।
ज्यादातर रोटेटर कफ जिनमें छोटा टीयर होता है, विशेष व्यायाम, कुछ दवाओं से ठीक हो जाते हैं। लेकिन जिनमें बड़ा टीयर होता है वे व्यायाम और दवाओं से ठीक नहीं होते, उन्हें दूरबीन से ठीक किया जा सकता है।
डॉ राजीव बताते हैं कि ऑपरेशन की जरूरत विशेषकर उन मरीजों को होती है, जिन्हें रात को सोने में कंधे में दर्द होता है या फिर करवट बदलने में। कंधे में कमजोरी महसूस होती है और दर्द की वजह से नींद नहीं आती है। ऐसे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। कंधे में दर्द के लिए दूरबीन तकनीक से इलाज किया जाता है। कम समय में मरीज को दर्द से राहत मिल जाती है।