पीएम ने की उपलब्धियों की सराहना
पीएम ने इस मुलाकात के दौरान अरुणिमा सिन्हा की प्रभावशाली उपलब्धियों की सराहना की और उनके नए अभियान के लिए शुभकामनाएं दीं। अरुणिमा ने इससे पहले पांच महाद्वीपों में सबसे ऊंचे शिखरों पर विजय प्राप्त की थी और इस तरह वे यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली दिव्यांग महिला बनीं। अरुणिमा ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें माउंट विन्सन पर लहराने के लिए तिरंगा देकर विदा किया और कामयाबी के लिए आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि वह इस बेहद विषम परिस्थितियों वाली अत्यंत दुर्गम पर्वत चोटी फतह करके सभी प्रमुख चोटियों पर तिरंगा लहराने का अपना लक्ष्य हासिल करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि वह माउंट विन्सन के सफर के तहत 13 दिसंबर को चिली के पुंटा एरीना के लिए रवाना होंगी। उसके बाद वह 16 दिसंबर को पुंटा से यूनियन ग्लेशियर जाएंगी। वहां से 18 तारीख को आरोहण शुरू होगा। उम्मीद है कि वह 29 या 30 दिसंबर को माउंट विन्सन पर पहुंच जाएंगी। अरुणिमा ने बताया कि इस महत्वाकांक्षी सफर पर उनके साथ उनके पति गौरव सिंह भी जाएंगे। इस पर्वत शिखर पर चढ़ाई के लिए उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया है।
‘आखिरी मंजिल‘ पर फतह करने के लिए तैयार अरुणिमा
विश्व रेकॉर्ड धारी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा दुनिया की सात प्रमुख पर्वत चोटियों में आखिरी बची ‘माउंट विन्सन’ को फतह करने के लिए गुरुवार को रवाना होंगी। दक्षिणी ध्रुव में अंटार्कटिका स्थित ‘माउंट विन्सन‘ दुनिया के सातों महाद्वीपों की प्रमुख पर्वत चोटियों में से आखिरी शिखर है, जिस पर अरुणिमा ने अब तक विजय हासिल नहीं की है।
इन सात चोटियां कर चुकी हैं फतह
अब तक अरुणिमा सिन्हा ने एवरेस्ट (एशिया) के साथ-साथ किलीमंजारो (अफ्रीका), एल्ब्रुस (रूस), कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया), किजाश्को (आस्ट्रेलिया) और माउंट अकंकागुआ (दक्षिण अमेरिका) पर्वत चोटियों पर आरोहण कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि अब माउंट विन्सन उनकी आखिरी मंजिल है, जिसे पाकर वह नया इतिहास रचना चाहती हैं।
‘पद्मश्री’ अवार्ड से नवाजी गई हैं अरुणिमा
अरुणिमा की तमाम उपलब्धियों पर सरकार ने उन्हें ‘पद्मश्री’ अवार्ड से नवाजा था। हाल में उन्हें ब्रिटेन की एक यूनीवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया था। बता दें कि अरुणिमा ने एक कृत्रिम पैर लगवाकर एवरेस्ट फतह करने का इरादा किया था और 21 मई 2013 को मंजिल पाकर दुनिया को चौंका दिया था। उसके बाद उन्होंने सभी सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों पर आरोहण का इरादा किया था।
हुई थीं इस दुर्घटना की शिकार
अरुणिमा उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की निवासी हैं। अप्रैल 2011 को लखनऊ से दिल्ली जाते समय उसके बैग और सोने की चेन खींचने के प्रयास में कुछ अपराधियों ने बरेली के निकट पदमावती एक्सप्रेस से अरुणिमा को बाहर फेंक दिया था, जिसके कारण वह अपना एक पैर गंवा बैठी थीं। एक पैर गंवाने के बावजूद अरूणिमा ने अपनी जीवटता का परिचय देते हुए मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर एक नया इतिहास रचा। और यह उपलब्धि हासिल करने वाली दुनिया की पहली भारतीय दिव्यांग महिला होने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। वह साल 2012 से केंद्रीय अद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं।