नया दौर है नई तकनीक है अब यहां पर ऐसे जनप्रतिनिधियों की जरूरत है कि वे सूबे के विकास के लिए काम करें। एडीआर की रपट में कुछ बातें गौर करने वाली है। फिलवक्त की यूपी विधानसभा में कुल 396 विधायक में से 313 करोड़पति विधायक हैं। अब अगर पढ़ाई के आधार पर देखें तो 396 विधायकों में से 95 विधायक सिर्फ आठवीं से बारहवीं कक्षा ही पढ़े हैं। चार विधायक ऐसे हैं, जिनकी शैक्षणिक योग्यता सिर्फ साक्षर हैं। है न कमाल के आंकड़े। फिर भी जनता चुन रही है। यह बेहद गंभीर विषय है।
गौर कीजिए देश में जनप्रतिनिधियों पर तीन दशक से भी अधिक समय से 4,122 आपराधिक मामले लंबित हैं। सबसे पुराना लंबित मामला 1983 में पंजाब का है। उत्तर प्रदेश में 1217 मामले लंबित हैं, जिनमें से 446 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद आरोपी हैं।
अपराधिक छवि वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए चुनाव आयोग कई प्रयास कर रहा है। आयोग ने प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार में कम से कम तीन बार टीवी और अखबारों में अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के विज्ञापन प्रकाशित कराने को कहा है। साथ ही एक नियम बनाया है, जिसमें अगर अपराध सिद्ध हो जाता है तो आगे से चुनाव लड़ने पर बैन हो जाएगा। यह कठोर नियम डर पैदा करने के लिए बनाया गया। बावजूद इसके अपराधिक छवि वाले जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़ रही है। एडीआर ने भी यूपी चुनाव 2022 को देखते हुए जनता को जागरुक करने के लिए रिपोर्ट जारी की है। पर बाहुबली विधायकों को सदन में जाने से रोकने के लिए जनता का सहयोग जरूरी है। विधानसभा की सुन्दर और साफ सुथरी तस्वीर के लिए आपको तय करना होगा कि आपका जनप्रतिनिधि कैसे हो? (संकुश्री)