राजभर ने कहा कि जब तक सरकार सप्ष्ट न करे, तब तक सरकार द्वारा जो भी विज्ञापन निकाल कर भर्ती करने की तैयारी चल रही है, उस पर रोक लगाई जाए। अगर सरकार ऐसा करने में असफल है, तो यह साफ होगा कि सरकार ने 17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ धोखा किया।
गुमराह कर उपचुनाव में वोट की तैयारी राजभर का आरोप है कि 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनूसुचित जाति में शामिल करने के पीछे का मकसद उपचुनाव में वोट कलेक्ट करना है। अगर योगी सरकार वाकई में इन 17 जातियों का विकास चाहती है, तो 8 महीने से पड़ी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को तत्काल लागू करें और जो भी भर्ती हो उसमें अतिपिछड़ों की भागीदारी सुनिश्चित करें।
मायावती ने भी जताई नाराजगी बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने योगी सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया। मायावती का कहना है कि यह आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी है। बसपा सुप्रीमो का मानना है कि इन 17 जातियों को अनुसूचित जातियों का लाभ नहीं मिलना है। योगी सरकार ने सपा सरकार की तरह इन 17 जातियों को धोखा देने का आदेश जारी किया है। ये 17 जातियां किसी श्रेणी का लाभ नहीं प्राप्त कर पाएंगे।
इन जातियों को किया शामिल कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी और मछुआ को अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) की श्रेणी में शामिल किया गया है।