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लखनऊ

परिषदीय स्कूलों में बाटे जाएंगे नए जूते-मोजे और स्कूल बैग

प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में अब नए जूते-मोजे और स्कूल बैग बाटे जाएंगे।

लखनऊMar 28, 2018 / 01:26 pm

Prashant Srivastava

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लखनऊ. प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में अब नए जूते-मोजे और स्कूल बैग बाटे जाएंगे। दरअसल विद्यार्थियों को पिछले साल दिए गए जूते-मोजे और स्कूल बैग एक साल भी नहीं चल सके हैं। बड़ी संख्या में इनके फटने की शिकायतों के बाद विभाग ने स्कूल बैग व जूते-मोजों को बदलने के निर्देश दिए हैं।कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को इनका वितरण निशुल्क किया गया था। ठेके की शर्तों के मुताबिक एक वर्ष से कम अवधि में ही फटने पर इन्हें बदलकर देना है।
जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों की शिकायतों के बाद पता चला कि करीब 40 लाख से अधिक विद्यार्थियों के जूते मोजे और स्कूल बैग फट गए हैं।इस पर निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने सभी बीएसए को जूते-मोजे और स्कूली बैगों के फटने का आंकड़ा एकत्र करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर सप्लायर इन्हें बदलकर नहीं देता है तो उस पर जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं।
इस बार भी पुरानी किताबों से पढ़ाई


प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को शैक्षिक सत्र की शुरुआत में पुरानी किताबों से ही पढ़ाई करनी होगी। पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में विलंब के चलते बेसिक शिक्षा निदेशालय ने सभी बीएसए को कक्षा आठ तक के विद्यार्थियों की किताबें जमा करने के निर्देश दिए हैं। निदेशक ने बताया कि 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र के कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों में इन पुस्तकों के वितरण के निर्देश दिए हैं। नई किताबें छपने के बाद उन्हें दी जाएगी।

जल्द भरे जाएंदे पद

शहरी स्कूलों में रिक्त पदों पर जल्द ही भर्तियां शुरू हो जाएंगी। इस बात की जानकारी बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने दी। उन्होंने कहा कि अंतर्जनपदीय तबादले होने के बाद सरकार ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों से विकल्प लेकर शहरी क्षेत्र के स्कूलों में रिक्त पद भरेगी। जायसवाल ने यह घोषणा कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के सवाल के जवाब में की। अदिति ने शहरी क्षेत्र के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का मामला उठाया था।बेसिक शिक्षा मंत्री ने बसपा के सुखदेव राजभर के पूरक सवाल पर बताया कि सरकार ने सत्ता में आते ही शिक्षकों की कमी से स्कूल बंद होने, शहरी क्षेत्र के कई स्कूलों में छात्र न होने के बावजूद शिक्षकों की तैनाती जैसी स्थितियों का संज्ञान लिया था। इसी के मद्देनजर छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार शिक्षकों के समायोजन का फैसला किया।

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