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लखनऊ

LDA के निलंबित बाबू अजय प्रताप वर्मा 2 साल बाद गिरफ्तार, फर्जी दस्तावेज़ के जरिए बेची थी जमीन

LDA की जमीन बेचने के मामले में आरोपी अजय प्रताप वर्मा को लखनऊ पुलिस ने 2 साल बाद गिरफ्तार किया, 6 FIR दर्ज, धोखाधड़ी का मामला सामने आया।

लखनऊJan 21, 2025 / 07:56 am

Ritesh Singh

Lucknow LDA Fake Land Deal

Lucknow LDA Fake Land Deal

LDA Employees Suspended: लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के निलंबित बाबू अजय प्रताप वर्मा को पुलिस ने दो साल बाद गिरफ्तार कर लिया है। अजय प्रताप वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ बनाकर LDA की ज़मीन बेच दी थी। पुलिस द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी के बाद गोमती नगर पुलिस को सौंप दिया गया है। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए दो साल से लगातार प्रयास कर रही थी।

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आरोपी की गिरफ्तारी
लखनऊ पुलिस की स्वाट टीम ने निलंबित बाबू अजय प्रताप वर्मा को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसे गोमती नगर पुलिस के हवाले कर दिया। अजय प्रताप वर्मा के खिलाफ 6 FIR पहले से दर्ज हैं, जिनमें जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर LDA की जमीन बेचने का काम किया और इस अवैध गतिविधि में उसके 4 साथी भी शामिल थे।
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फर्जी दस्तावेज के माध्यम से ज़मीन की बिक्री
यह मामला 2022 में तब सामने आया था जब LDA के तत्कालीन उप सचिव माधवेश कुमार ने गोमतीनगर थाने में FIR दर्ज कराई थी। FIR में अजय प्रताप वर्मा और उसके साथियों के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। इस FIR में बताया गया था कि अजय प्रताप वर्मा ने फर्जी सेल्स एग्रीमेंट तैयार किया था, जो त्रिवेणी नगर के आदर्शपुरम निवासी शिवानी रस्तोगी के नाम पर था। इस एग्रीमेंट में यह दर्शाया गया था कि शिवानी ने गोमतीनगर योजना के तहत LDA से ज़मीन खरीदी है, लेकिन जांच में यह एग्रीमेंट पूरी तरह से फर्जी पाया गया।
जांच में खुलासा
जांच के दौरान यह सामने आया कि अजय प्रताप वर्मा ने एक पूरी साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए थे। पुलिस ने गवाह भानु प्रताप शर्मा और अभिनव सिंह से पूछताछ की, जिन्होंने खुलासा किया कि अजय प्रताप वर्मा भी इस ठगी में शामिल था। इसके बाद यह पता चला कि आरोपी ने LDA की वेबसाइट पर ज़मीन का विवरण अपलोड किया था, जो कि पूरी तरह से झूठा था।
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LDA की जमीन बेचने के तरीके
अजय प्रताप वर्मा और उसके साथियों ने मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। आरोपी ने LDA की ज़मीन बेचने के लिए ज़मीन के दस्तावेज़ों की छेड़छाड़ की और उन्हें फर्जी तरीके से तैयार किया। फिर उन्होंने इस ज़मीन को बेचने के लिए शिकार बनाए गए व्यक्तियों से संपर्क किया और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वे वास्तविक ज़मीन के मालिक हैं। इस प्रक्रिया में अजय प्रताप वर्मा और उसके साथियों ने लाखों रुपये की धोखाधड़ी की।
गोमतीनगर पुलिस की कार्रवाई
गोमतीनगर पुलिस ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने पहले आरोपी के खिलाफ एक FIR दर्ज की थी और उसके बाद उसकी तलाश शुरू कर दी थी। करीब दो साल तक पुलिस आरोपी की खोज में लगी रही, लेकिन अब आखिरकार आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस गिरफ्तारी को लेकर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह गिरफ्तारी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अन्य ऐसे अपराधों पर भी रोक लगेगी।
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निलंबित LDA बाबू के खिलाफ अन्य मामले
अजय प्रताप वर्मा पर पहले से ही जालसाजी और धोखाधड़ी के 6 FIR दर्ज हैं। इनमें से कुछ मामलों में वह पहले भी आरोपी बन चुका था, और अब इस फर्जी ज़मीन बेचने के मामले में भी उसकी गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने बताया कि इस मामले के बाद कई और मामलों का भी खुलासा हो सकता है, और जांच जारी है।
आगे की कार्रवाई और जांच
पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के बाद यह संकेत दिए हैं कि और भी लोग इस साजिश में शामिल हो सकते हैं। पुलिस ने कहा कि वह इस मामले में और गहराई से जांच करेगी और जो भी लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गोमतीनगर पुलिस और LDA ने इस मामले में आपसी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी की घटनाओं को रोका जा सके। पुलिस ने यह भी कहा कि इस मामले को लेकर और अधिक गिरफ्तारी की संभावना है।

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