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लखनऊ

अनोखा है यह दुर्गा मंदिर! माता काली बैठती हैं नरमुंड आसान पर

मां काली पंचमुण्डीय आसन पर बैठी हैं ,पंचमुण्डीय आसन नर, बंदर, सांप, उल्लू,चमगादड़ के सिर से बना आसन मां का प्रिय आसन है

लखनऊApr 01, 2016 / 12:12 pm

Santoshi Das

Kali Bari Temple Lucknow

Kali Bari Temple Lucknow

लखनऊ.आठ अप्रैल से शहर में चैत्र नवरात्र शुरू होने वाला है। इस चैत्र नवरात्र के लिए शहर के प्रमुख दुर्गा मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए विशेष तैयारियां चल रही हैं। मंदिर का रंगरोगन से लेकर मंदिर की साज सज्जा के लिए योजनाएं बन रही हैं। ऐसे में पत्रिका भक्तों को नवरात्र के आठ दिनों तक उन ख़ास मंदिरों की जानकारी देगा जिसकी मान्यता दूर दूर तक है। अगर आप लखनऊ में रहते हैं तो इन मंदिरों के दर्शन कर मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आज आपको मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक मां काली जी के पवित्र मंदिर काली बाड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्तों की मुरादें पूरी जरूर होती हैं।

घसियारी मण्डी स्थित कालीबाड़ी मां काली का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर 147 वर्ष पुराना है जहां पर मां काली पंचमुण्डीय आसन पर बैठी हैं। पंचमुण्डीय आसन (नर, बंदर, सांप, उल्लू,चमगादड़ के सिर से बना आसन) मां का प्रिय आसन है जिसकी वजह से यहां आने वाले भक्त मां से जो मुराद मांगते हैं वह पूरी होती है।

कालीबाड़ी मंदिर के वरिष्ठ पुजारी और पुरोहितकाण्ड में पीएचडी कर चुके डॉ अमित गोस्वामी ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना तांत्रिक मधुसुदन मुखर्जी से की थी। वह मां काली के बड़े भक्त थे जो नीम के पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या करते थे। मां उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न हुई और उन्होंने तांत्रिक से मंदिर की स्थापना के लिए कहा। उन्होंने आदेश दिया कि वह मंदिर में मां काली की मिट्टी से मूर्ति बनवाए जिसे पंचकुण्डीय आसन पर विराजमान करके पूजा अर्चना करें। जैसा मां काली ने कहा तांत्रिक ने वैसा ही किया। इसके बाद मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो गई। सिद्ध मंदिर होने के कारण इस मंदिर की ख्याति दूर दराज तक होने लगी। यहां नवरात्र पर जो भी भक्त आते हैं उनकी मुराद पूरी होती है। मंदिर में महाअष्टमी और नवमी को विशेष पूजा होती है और शाम की आरती होती है।

108 कमल के फूलों को अर्पण करें और पूरी होगी मुराद

मां काली का पसंदीदा फूल कमल है। मान्यता है कि नवरात्र में इस मंदिर में जो लोग 108 कमल के फूल चढ़ाते हैं तो उनकी मन्नत पूरी होती है। नवरात्र के समय मंदिर के बाहर कमल के फूलों की बिक्री बढ़ जाती है। मंदिर की खास विशेषता है यहां पर पशु की बलि के बजाए पेठा फल और गन्ने की बलि दी जाती है। नवरात्र के दिनों में मंदिर सुबह छह बजे से दोपहर एक बजे तक खुलता है। शाम को पांच से रात दस बजे तक मंदिर भक्तों के लिए खुलता है।

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