लखनऊ

अखिलेश-शिवपाल को साथ लाने में मुलायम सिंह यादव ही नहीं यह पूर्व सांसद भी लगे हैं कोशश में

समाजवादी पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के उन नेताओं को साथ लाने की कोशिश में लगे हुए हैं, जो पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।

लखनऊSep 24, 2019 / 04:45 pm

Abhishek Gupta

Mulayam

लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के उन नेताओं को साथ लाने की कोशिश में लगे हुए हैं, जो पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। जब से अखिलेश यादव ने पार्टी की बागडोर संभाली है तब से समाजवादी पार्टी (सपा) लगातार कमजोर होती जा रही है। 2014 लोकसभा चुनावों में पार्टी को केवल पांच सीटों पर संतुष्ट होना पड़ा था। उससे बाद कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद सपा को 2017 के विधानसभा चुनावों में 403 सीटों में से केवल 47 सीटों पर ही जीत मिली। बसपा से गठबंधन का भी अखिलेश को कोई फायदा नहीं हुआ और 2014 की तुलना में 2019 में सपा एक ज्यादा सीट का भी फादया नहीं हुआ।
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अखिलेश-शिवपाल को मनाने में लगे मुलायम-

सूत्रों की मानें, तो राज्य में कई दफा अपना वर्चस्व कायम रखने वाली अपनी पार्टी सपा का आज ऐसा हश्र देखकर मुलायम सिंह यादव काफी निराश हैं। उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को कई दफा कहा कि वह हट छोड़़े और पुराने नेताओं को वापस पार्टी में शामिल करें। खासतौर पर अपने चाचा शिवपाल को जिन्होंने पार्टी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। मुलामय खुद शिवपाल को भी घर वापसी के लिए मनाने में लगे हैं।
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शिवपाल को नहीं चाहते वापस-

अखिलेश से छिड़ी जंग के बाद पार्टी से अलग हुए शिवपाल सिंह की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी यूपी की राजनीति में कोई खास छाप नहीं छोड़ पाई है। प्रसपा के एक वरिष्ट नेता का कहना है कि शिवपाल जमीन से जुड़े हुए नेता हैं, वहीं अखिलेश मुश्किल से शहर के बाहर भी जाते हैं। उनका अहंकार शिवपाल से समझौते के बीच बड़ी बाधा बन रहा है। मुलायम शिवपाल को वापस लाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन अखिलेश किसी भी सीनीयर लीडर (इनमें शिवपाल भी शामिल हैं) को पार्टी में वापस लाना नहीं चाहते।
शिवपाल-मुलायम में चर्चा जोरो पर-

अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के दरवाजे खुले होने की बात कहकर राजिनीतिक गलियारों में चर्चा ला दी कि वह शिवपाल को भी वापस बुला सकते हैं। लेकिन सोमवार को शिवपाल की ओर से जारी बयान में स्पष्ट किया कि उनके सपा में जाने या विलय की बातें झूठी और निराधार हैं। प्रसपा नेता का कहना है कि शिवपाल और मुलायम दोनों में बातचीत जोरो पर हैं, लेकिन अखिलेश बिल्कुल इच्छुक नहीं दिख रहे।
धर्मेद्र यादव भी कर रहे कोशिश-

सपा से सूत्रों का कहना है कि पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव अब सपा प्रमुख अखिलेश और उनके चाचा के बीच शांति कायम करने के मिशन पर लग गए हैं। हालांकि इस बीच यह बात भी गौर करने वाली है कि सपा की ओर से शिवपाल की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए कदम उठाया जा चुका है, जो शिवपाल को नीचा दिखाने जैसा है। वहीं, सपा जिस स्थिति में है उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यादव वोट भाजपा की ओर ट्रांसफर हो सकते हैं।

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