निकाय चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में जब अखिलेश यादव अमेठी में थे, तब पत्रकारों के सवाल के जबाव में कहा था कि ‘हम राहुल गांधी के साथ किसी प्रकार का गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं, हम अपने मौजूदा गठबंधन के साथ आगामी लोकसभा में उतरेंगे।’ दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने सागरदीघी विधान सभा में हारने के बाद कहा था कि ‘हमारी हार बीजेपी, कांगे्रस और सीपीआई के अपवित्र गठबंधन के कारण हुई है।’
ममता बनर्जी को अवसरवादी नेता माना जाता है, उनके विचार वक्त के साथ बदलते जाते हैं। कांग्रेस को अपना धुर विरोधी मानने वाली ममता ने कर्नाटक चुनाव के बाद राग बदल दिया है। अब वह कहने लगी है कि कांग्रेस जहां मजबूत है, वहां लड़े टीएमसी उसका समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भी क्षेत्रीय दलों को सहयोग करे, जैसे यूपी में समाजवादी पार्टी का सहयोग कांग्रेस करे और सपा के नेतृत्व में चुनाव लड़े।
कर्नाटक चुनाव तो सम्पन्न हो चुके हैं और कर्नाटक कांग्रेस के हाथ लग चुका है। जिससे उत्साहित होकर ममता और अखिलेश ने कांग्रेस के लिए सकारात्मक सिग्नल देना शुरू कर दिया है। लेकिन असली खेल अभी बाकी है, कारण कि इसी साल मध्यप्रदेश, छत्तिसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम का चुनाव होना है। इन पांच राज्यों में से दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, जिसके चुनाव परिणाम आगामी 2024 के लोक सभा चुनावों में विपक्ष की असली मोर्चेबंदी तय करेगा।