ये भी पढ़ें- यूपी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कोरोना संक्रमित कहीं 2500 से 6000 रूपए के बीच में बेचे गए- सीएम योगी के निर्देश पर बीती 10 सितंबर को रेवेन्यू डिपार्टमेंट की एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रेणुका कुमार की अध्यक्षता में टीम गठित की गई थी। जांच में टीम को 28 जिलों में बड़ी धांधली के सबूत मिले हैं। सबसे ज्यादा अनियमितता फर्रुखाबाद जिले में मिली, जहां एक ही मेडिकल डिवाइस को कहीं 1500, कहीं 2500 तो कहीं 11,000 रुपये में खरीदा गया है। वहीं ज्यादातर जिलों में यह मेडिकल इक्विपमेंट 2500 से 6000 रूपए के बीच में बेचे गए हैं। मामले में गठित एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर शुक्रवार को सीएमओ को सौंप दी है। रिपोर्ट किए गए तथ्यों के आधार पर जांच टीम ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है। पल्स ऑक्सीमीटर और इंफ्रारेड थर्मामीटर की खरीद ग्राम पंचायत के स्तर पर करने के निर्देश दिये गए थे।
ये भी पढ़ें- यूपी में चार लाख से ज्यादा हुए कोरोना संक्रमित, ठंड में बढ़ सकता है खतरा यह थे आदेश- कोविड-19 की रोकथाम के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर और सैनिटाइजर का एक सेट खरीदने के आदेश दिये गए थे। सुल्तानपुर, गाजीपुर और अन्य जिलों की कई ग्राम पंचायतों में बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर इन उपकरणों को बेचा जा रहा था। इसकी शिकायतें शासन को मिलने पर सुल्तानपुर और गाजीपुर के जिला पंचायत राज अधिकारी और सोनभद्र के प्रभारी डीपीआरओ को निलंबित कर दिया गया था।