बिजली आपूर्ति के लिए उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर
इस आयोजन के लिए कुल 182 किमी हाई टेंशन (एचटी) और 1405 किमी लो टेंशन (एलटी) बिजली लाइनों का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा, पूरे क्षेत्र में 67,000 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही हैं, जो रात के समय उत्कृष्ट रोशनी प्रदान करेंगी। सात विद्युत उपकेंद्रों के साथ 33/11 केवी के 14 अतिरिक्त उपकेंद्र बनाए गए हैं। इन उपकेंद्रों को अत्याधुनिक रिंग मेन यूनिट (आरएमयू) से जोड़ा गया है, जो आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में महज 30 सेकंड में बिजली को बहाल कर सकती है । विकल्पों और आपातकालीन व्यवस्थाओं पर जोर
आपातकालीन स्थिति में बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए डीजल जनरेटर सेट (डीजी सेट) का भी इंतजाम किया गया है। खासकर मेले के प्रमुख स्थानों और स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम के लिए यह सेटअप महत्वपूर्ण होगा। रेलवे स्टेशन और मेला क्षेत्र में भूमिगत केबलिंग के माध्यम से बिजली वितरण की योजना बनाई गई है, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
तकनीकी नवाचार से मेला क्षेत्र होगा अत्याधुनिक
बिजली वितरण नेटवर्क में तकनीकी सुधारों को लागू करने के लिए, आरएमयू सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो न केवल आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करेगा बल्कि किसी भी तकनीकी खराबी का तुरंत समाधान करेगा। महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन के लिए यह प्रणाली महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बिना किसी हस्तक्षेप के बिजली की निर्बाध आपूर्ति की गारंटी देती है।
महाकुंभ 2025 के लिए बिजली आपूर्ति: चुनौतियां और समाधान
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान एक साथ लाखों श्रद्धालु और तीर्थयात्री उपस्थित होंगे। इतनी बड़ी संख्या में बिजली की खपत और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। पूर्वांचल डिस्कॉम ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यापक योजना बनाई है। इन प्रयासों का उद्देश्य महाकुंभ के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा को दूर करना है। स्थायी विकास की दिशा में कदम
महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस परियोजना के अंतर्गत ऊर्जा दक्षता में सुधार और स्मार्ट सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
महाकुंभ के लिए तैयार प्रयागराज: पर्यावरण और तकनीक का संगम
प्रयागराज
महाकुंभ 2025 का आयोजन न केवल श्रद्धालुओं की संख्या बल्कि पर्यावरण और तकनीक के संतुलन को भी प्रदर्शित करेगा। ऊर्जा बचत के उद्देश्य से लगाए जा रहे एलईडी स्ट्रीट लाइट्स न केवल बिजली की खपत कम करेंगे बल्कि कार्बन फुटप्रिंट को भी घटाएंगे।