(Magh Purnima Sangam Updates) माघ पूर्णिमा स्नान में कोहरे और ठंड की परवाह किए बिना श्रद्धालुओं का जनसैलाब शनिवार को संगम पर स्नान के लिए उमड़ पड़ा। संगम जाने वाले सभी मार्गों पर लंबी कतारें देखने को मिली। मेला प्रशासन ने शाम 4 बजे तक 30 लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का दावा किया। (Magh Purnima 2024 Shubh Sanyog) पूर्णिमा की पुण्य डुबकी के साथ ही माघ मेले में रह रहे कल्पवासी अब अपने स्थान को लौटेंगे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु संगम पर वास करते हैं। इसलिए इस दिन संगम स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार करीब 120 वर्षों बाद मघा नक्षत्र पड़ रहा है। इस बार पूर्णिमा पर एक साथ चार दुर्लभ राजयोग बना है। ( Magh Purnima Sangam Updates) ऐसे में संगम में स्नान और दान का फल कई गुना अधिक होता है। इस दिन रेती पर महीने भर चलने वाले कल्पवास का भी समापन होगा। कल्पवासी माघ पूर्णिमा पर मां गंगा की पूजा, आरती कर साधु- संतों को अन्न-वस्त्र दान करते नजर आए।
तीर्थराज प्रयागराज में मकर संक्रांति के दिन, 15 जनवरी 2024 को शुरू हुए 54 दिवसीय माघ मेले के माघी पूर्णिमा स्नान के बाद अधिकांश श्रद्धालु (कल्पवासी जो माघ महीने के अधिकांश समय गंगा तट पर रहते हैं) पवित्र स्नान और अनुष्ठानों के बाद मेला परिसर छोड़ कर प्रस्थान करते हैं। ( Magh Purnima Sangam Puja )माघी पूर्णिमा स्नान से पहले कल्पवासियों के टेंट वापस ले जाने के लिए रिश्तेदारों और परिचितों का आना शुरू हो गया है। संगम तट पर मौजूद एक संत ने कहा, “कल्पवासी मेले की आत्मा हैं उनके जाने के बाद परिसर सूना हो जाएगा।
(Magh Purnima Sangam Updates) माघ मेला भारत के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है। यह मेला हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन, श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति पाने की कामना करते हैं। पर्यटन व संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि सरकार ने माघ मेले में श्रद्धालुओं के सुरक्षित स्नान-ध्यान के लिए विशेष प्रबंध किए थे। ( Magh Purnima Sangam Puja ) माघी पूर्णिमा स्नान के साथ कल्पवास का भी समापन हो रहा है और श्रद्धालु सकुशल अपने गंतव्य को लौट रहे हैं। (Magh Purnima 2024 Shubh Sanyog) मेला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने तीर्थयात्रियों के सुविधाजनक स्नान के लिए उचित प्रबंध किए थे जिससे मेले में आने वाले किसी भी यात्री को कोई असुविधा न हो और वे आनंदपूर्वक स्नान, दान और कल्पवास कर सकें।